Breaking: दिल्ली, नोएडा, और आसपास के इलाकों में बढा बाढ़ का खतरा, जानिए क्यों आई ऐसी नौबत़

Flood risk increases in Delhi-Noida: दिल्ली, नोएडा, और आसपास के इलाकों में बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने एक अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। दूसरा कारण है हथनीकंुड बैराज से पानी छोड़ा जाना। जिससे यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जा चुका है, इसी कारण निचले इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। कई सड़कें और पुल पानी में डूब गए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।
स्कूल- कॉलेज आज बंद
बता दें कि नोएडा और दिल्ली में स्कूल, कॉलेज और दफ्तर बंद कर दिए गए हैं, और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इतना ही नही यातायात व्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव पड़ रहा है। दिल्ली के मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी है।
बाढ़ के प्रमुख कारण
यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बाढ़ का मुख्य कारण दिल्ली, नोएडा और आसपास के इलाकों में हो रही लगातार और अत्यधिक बारिश ही है। हालांकि, केवल बारिश ही एकमात्र कारण नहीं है। इस आपदा के कई अन्य कारण भी हैं, जिन पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है।
1. भारी और लगातार बारिशः यह सबसे महत्वपूर्ण और तात्कालिक कारण है। मानसून के दौरान, दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। चूंकि बारिश का पानी नदियों और नालों में बहता है, अत्यधिक मात्रा में जल जमा होने से नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है, जिससे बाढ़ आ जाती है।
2. नदियों में गाद (सिल्ट) का जमावः यमुना नदी में लंबे समय से गाद का जमाव हो रहा है। गाद, जो मिट्टी और रेत से मिलकर बनी होती है, नदी के तल में जमा हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, नदी की गहराई कम हो जाती है और उसकी जलधारण क्षमता घट जाती है। जब भारी बारिश होती है, तो नदी में पानी तेजी से बढ़ता है और किनारे तोड़कर आसपास के इलाकों में फैल जाता है, जिससे बाढ़ आती है।
3. शहरीकरण और बढे अतिक्रमणः शहरों का अनियोजित विकास भी एक बड़ा कारण है। नदी के किनारे और बाढ़ के मैदानों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण तेजी से बढ़ा है। ये क्षेत्र प्राकृतिक रूप से पानी को सोखने और बाढ़ को नियंत्रित करने का काम करते हैं। जब इन क्षेत्रों पर निर्माण होता है, तो पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिलता और वह रिहायशी इलाकों में घुस जाता है।
4. जल निकासी प्रणाली की विफलताः दिल्ली और नोएडा की जल निकासी प्रणाली (कतंपदंहम ेलेजमउ) इस तरह की भारी बारिश का सामना करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि अफसर दावा करते है कि जल निकासी प्रणाली को मजबूत कर दिया गया है। लेकिन जब भी बारिश आती है तो पोल खुल जाती है। अधिकांश नाले और सीवर जाम हैं या उनकी क्षमता कम है। प्लास्टिक और अन्य कचरे से भरे नाले पानी को ठीक से निकालने में असमर्थ हैं, जिससे पानी सड़कों और घरों में भर जाता है।
5. पड़ोसी राज्यों से पानी का छोड़नाः हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में छोड़ा गया पानी भी एक प्रमुख कारण है। जब बैराज से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जाता है, तो वह कुछ दिनों में दिल्ली पहुंचता है, जिससे यमुना का जलस्तर और भी बढ़ जाता है। हालांकि, यह पानी बाढ़ का एकमात्र कारण नहीं है, बल्कि यह स्थिति को और भी बदतर बना देता है।
बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता
नोएडा और आसपास के इलाकों में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसमें नदियों की गाद निकालने, जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाने, अतिक्रमण पर रोक लगाने और बाढ़ के मैदानों को संरक्षित करने जैसे उपाय शामिल होने चाहिए। इसके अलावा, एक प्रभावी चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन योजना भी जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बेहतर ढंग से निपटा जा सके।यह बाढ़ एक चेतावनी है कि हमें पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के साथ तालमेल बिठाकर ही विकास करना होगा। अगर हम प्रकृति के नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो ऐसी आपदाएं बार-बार आती रहेंगी।

 

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