Financial Democracy: विचारमंथन फोरम सरकार को देने वाली है ये सुझाव, आपके बच्चों का भविष्य होगा सुनहेरा

Financial Democracy: देश में सरकारी स्कूल और अस्पताल अच्छे हो और निजी की तरफ जाना न पड़े। इसको लेकर विचारमंथन फोरम ने खाचा खींचा है जिसको लेकर सरकार को संस्था सुझाव देने वाली है। इसको लेकर विचारमंथन के मुख्य विचारक राकेश कुमार सिंह द्वारा फोरम के मंच से फाइनेंशियल डेमोक्रेसी पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया।
नोएडा के पूर्व सीईओ ने कहीं अहम बातें
दरअसल, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नोएडा प्राधिकरण के पूर्व देवदत्त शर्मा ने की और ओमवीर सिंह और मनोज कुमार शर्मा ने मुख्य भूमिका अदा कर उपस्थित अनुभवी वित्तीय विशेषज्ञों के प्रश्नों के उत्तर दिए । आज के विषय की भूमिका थी कि पिछले ७५ वर्षों में समस्या सरकारों द्वारा बजट के माध्यम से वित्तीय अधिकारों को केन्द्रित कर प्रजातंत्र को कमजोर किया गया है। इस पर 22 फरवरी को सेक्टर 37 में एक पैनल डिस्कशन भी किया जा रहा है । श्री सिंह के विचारों को संक्षेप में हम वर्णित कर रहे हैं । वित्तीय प्रजातंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार प्रदान किया जाता है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग उनकी पसंद के अनुसार किया जाए और सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही हो।

फाइनेंशियल डेमोक्रेसी की आवश्यकता
बता दें कि वर्तमान में, करदाताओं के पास अपने कर के उपयोग में कोई अधिकार नहीं है। सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इससे करदाताओं में असंतुष्टता और अविश्वास पैदा होता है।

फाइनेंशियल डेमोक्रेसी के कई लाभ

1. करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार मिलता है।
2. सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है।
3. करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाता है।
4. सरकार को करदाताओं की जरूरतों और अपेक्षाओं को समझने में मदद मिलती है।

फाइनेंशियल डेमोक्रेसी की प्रक्रिया

1. करदाता अपने कर के चालान में कर के उपयोग की रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रेल, रोड, और संचार आदि पर अपने कर के प्रतिशत को निश्चित करता है।
2. समस्त करदाताओं के योग पर संसद विचार करती है।
3. सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट के प्रतिशत खर्चे का मिलान करके बजट पास होता है।
4. पिछले बजट के खर्चों से होने वाले लाभ हानि पर चर्चा होती है।

फाइनेंशियल डेमोक्रेसी की ये है चुनौतियाँ

1. करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार देने के लिए एक जटिल प्रणाली की आवश्यकता होती है।
2. सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
3. करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना एक जटिल काम है ।

फाइनेंशियल डेमोक्रेसी एक ऐसी प्रणाली है जो करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार प्रदान करती है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग उनकी पसंद के अनुसार किया जाए और सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही हो। हालांकि, वित्तीय प्रजातंत्र की कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसके लाभ भी बहुत हैं।

 

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