Film Review: ‘शैतान’ का कला-जादू रहा फीका, कहानी है कमजोर

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Film Review: जैसे.. आप होटल जाते हैं.. पंच पकवान की एक थाली मिलने की उम्मीद करते हैं.. पूरे दिन भूखे आप होटल में खाना चाहते हैं, लेकिन जब आप होटल जाते हैं तो आपको एहसास होता है कि आपको जो खाना चाहिए वो वहां नहीं मिलता। फिर आपको कुछ और खाना पड़ेगा और निराश होकर घर लौटना पड़ेगा। बस! फिल्म ”शैतान” देखते समय आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। इतना तो तय है कि कुछ असाधारण करने की चाहत में फिल्म थोड़ी गड़बड़ हो गई है।

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कहानी:
”शैतान” फिल्म एक साइकॉलोजिकल हॉरर फिल्म है, जिसमें अजय देवगन एक पिता का किरदार निभाते दिखाई दे रहे हैं, जिनकी बेटी की जान खतरे में है। एक खुशहाल वर्ग परिवार है। एक दिन वही परिवार एक फार्म हाउस पर पार्टी मनाने जाता है वहां, एक अजनबी (वनराज) अपना फोन चार्ज करने के लिए उनके घर में प्रवेश करता है। इसके बाद वनराज परिवार की बेटी जान्हवी को अपने वश में कर लेता है। बाद में जान्हवी वनराज के कहे अनुसार काम करती है। यहां तक कि जान्हवी के जरिए ही वह उसकी पूरी फैमिली को नुकसान पहुंचाता है। इस वजह से जान्हवी का परिवार काफी डरा हुआ है। वे वनराज को घर से बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। यह वनराज कौन है? वह जान्हवी को अपने नियंत्रण में क्यों रखता है? वास्तव में इसका उद्देश्य क्या है? इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म ”शैतान” देखकर मिलेंगे।

लेखन-निर्देशन:
”शैतान” का हाल कुछ ऐसा हो गया है कि फिल्म कुछ फैंसी, कुछ अनोखा करने की धुन में खो सी गई है, कि फिल्म उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती जो ट्रेलर देखकर बनी थीं। ”शैतान” की कहानी मजबूत है। लेकिन निर्देशन में कई जगह विकास बहल मार खा गए। कई घटनाओं को उन्होंने फिल्म में दिखाया है, लेकिन उन घटनाओं के प्रभाव को वे दिखाना भूल गए। जैसे कि एक इलाके से लड़कियां गायब हो रही हैं, लेकिन उस इलाके में इस बात की कोई हलचल नहीं है। फिल्म का फर्स्ट हाफ जहां सधा हुआ है तो वहीं इंटरवल के बाद यानी सेकंड हाफ में कई चीजें सिर के ऊपर से निकल जाती हैं। फिल्म में नहीं बताया गया है कि आर. माधवन आखिर शैतान क्यों बन जाता है? फिल्म के क्लाइमैक्स को और बेहतर बनाया जा सकता था। अभी ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने इसे जल्दबाजी में खत्म कर दिया। वही अमित त्रिवेदी का संगीतबद्ध संगीत ”शैतान” के दृश्यों को प्रभावशाली बनाने का काम करता है।

अभिनय:
शुरू से अंत तक आर. माधवन ने अपने अभिनय से फिल्म में अच्छा किया है। माधवन की एंट्री के बाद फिल्म में एक अलग मोड़ आ जाता है। खासकर क्लाइमेक्स में माधवन ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। लेकिन मजबूत कहानी न होने के कारण माधवन का दमदार अभिनय विफल हो जाता है। वहीं अजय देवगन ने एक मजबूर बाप की भूमिका अच्छी तरीके से निभाई है, लेकिन सबसे ज्यादा तारीफ़ बनती है शैतान बने आर. माधवन और अजय देवगन की बेटी का रोल करने वाली जानकी बोडिवाला की। दोनों ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों को बांधकर रखा।

”शैतान” देखें या ना देखें?:
फिल्म ”शैतान” की कहानी में दम नहीं है। फिल्म का डायरेक्शन कमजोर है। कई चीजें लॉजिक से परे हैं। हम कुछ अलग देखने के लिए सिनेमा जाते हैं लेकिन अंत में निराशा ही हाथ लगती है। वहीं इसका बैकग्राउंड म्यूजिक और स्टारकास्ट की एक्टिंग दिल जीतने वाली है। खासकर आर. माधवन और जानकी बोडिवाला की शानदार अदाकारी के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। अगर आप माधवन के फैन हैं और थ्रिलर फिल्में देखना पसंद करते हैं तो ”शैतान” एक बार जरूर देख सकते हैं।

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