किसान आबादी के बदले मिलने वाले 4,6 और 10 परसेंट के आवंटित किए गए भूखंडों पर ग्रहण लग रहा है। अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने पिछले कुछ महीनों में आवंटित किए गए भूखंडों की दो जारी सूची रद्द कर दी हैं। जिसके बाद प्राधिकरण और किसानों के बीच खलबली मच गई। हालांकि यह सभी भूखंड वह हो सकते हैं जो किसान पहले ही नक्सा 11 के तहत दूसरे लोगों को बेच चुके हैं अब इस मामले में जांच के लिए प्राधिकरण में तैनात 3 आईएएस अफसरों की समिति का गठन किया गया है। यह समिति जांच करेगी कि किसानों को आवंटित हुए भूखंडों में नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया है या फिर पक्षपात तो नहीं हुआ है।
दरअसल ग्रेटर नोएडा के किसानों की भूमि अधिग्रहण के बदले 4,6 और 10 प्रतिशत के आवासीय भूखंड आवंटित करने का प्रावधान है पिछले कुछ वर्षों में आवंटन प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया गया। किसानों को भूखंड लेने के लिए प्राधिकरण के चक्कर काटने पड़ते हैं। तब जाकर उन्हें कहीं ऐसी जगह भूखंड आवंटित कर दिया जाता है, जहां क्षेत्र विकसित ही नहीं हुआ हो लेकिन कुछ ऐसे भूखंड आवंटित किए जाते हैं जो प्राइम लोकेशन पर हैं। लेकिन जांच में सामने आएगा कि यह भूखंड प्राधिकरण अफसर और दलालों के बीच के गठजोड़ का नतीजा तो नहीं है। बताया जाता है कि किसानों से नक्शा 11 मिलने के बाद ही कुछ बिल्डर प्राधिकरण के अफसरों के रिश्तेदार पहले ही एग्रीमेंट करा लेते हैं। जिसके बाद जिसके बाद अपने मन मुताबिक भूखंड की लोकेशन ले लेते है। भूखंडों को कोड़ियों के भाव लेकर करोड़ों रुपए के मालिक बन जाते हैं।