योगी पर बनी फिल्म ‘अजेय’ को लेकर फतवा विवाद, BJP प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मौलाना पर साधा निशाना

Fatwa over Yogi Adityanath’s film “Ajay”: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ की रिलीज से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कुछ इस्लामी संगठनों ने फिल्म को ‘प्रोपेगैंडा’ बताते हुए इसके खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया है, जिसके बाद बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मौलानाओं पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे ‘हेट थ्योरी’ का हिस्सा बताते हुए कहा कि ऐसे फतवे देश की एकता के खिलाफ हैं।

फिल्म का टीजर और ट्रेलर रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें योगी जी के बाल्यकाल से लेकर संन्यासी बनने, गोरखपुर मठ के महंत बनने और मुख्यमंत्री पद तक के सफर को दर्शाया गया है। अभिनेता अनंत जोशी योगी आदित्यनाथ की भूमिका में हैं, जबकि परेश रावल उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब पर आधारित है और 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है।

फतवा क्यों जारी? विवाद की जड़
फिल्म के खिलाफ फतवा जारी करने वाले मौलानाओं का दावा है कि यह ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ को बढ़ावा देने वाली प्रोपेगैंडा फिल्म है, जो मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाती है। कुछ धार्मिक संगठनों ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की छवि को ‘संत-राजनेता’ के रूप में पेश करना सामाजिक सद्भाव बिगाड़ सकता है। हालांकि, फिल्म के प्रोड्यूसर अजय मेंगी ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से योगी जी के जीवन पर आधारित है और इसमें किसी समुदाय के खिलाफ कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर किसी को प्रोपेगैंडा लगे तो टिकट का पैसा लौटा देंगे।” फिल्म को लेकर अयोध्या में संतों ने पोस्टरों की पूजा की और इसे प्रेरणादायक बताया।

राकेश त्रिपाठी का पलटवार: ‘फतवा हेट थ्योरी का हिस्सा’
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने टीवी शो ‘ताल ठोक के’ में इस मुद्दे पर जमकर मौलानाओं को घेरा। उन्होंने सवाल उठाया, “योगी जी पर बनी फिल्म को लेकर फतवा जारी क्यों? क्या एक साधारण बायोपिक देखने से कोई खतरा है? ये फतवे तो हेट थ्योरी फैलाने के लिए ही हैं।” त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे फतवे मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश हैं और बीजेपी सरकार सबका साथ-सबका विकास की नीति पर चल रही है। उन्होंने अपील की कि लोग फिल्म देखें और खुद तय करें कि इसमें क्या आपत्तिजनक है।

फिल्म का सफर: कोर्ट से राहत मिली
फिल्म को रिलीज से पहले कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। कुछ याचिकाओं में इसे ‘राजनीतिक प्रचार’ बताया गया, लेकिन कोर्ट ने हरी झंडी दे दी। परेश रावल ने शूटिंग के दौरान भावुक होकर कहा कि योगी जी का जीवन प्रेरणा है और फिल्म में उनके गुरु का रोल निभाना सम्मान की बात है। निर्देशक ने भी जोर देकर कहा कि यह कोई प्रोपेगैंडा नहीं, बल्कि एक सच्ची कहानी है।

सोशल मीडिया पर बहस
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #AjeyPerHateTheory ट्रेंड कर रहा है। समर्थक इसे ‘राष्ट्रवादी फिल्म’ बता रहे हैं, जबकि विपक्षी खेमे में इसे ‘बीजेपी का प्रचार स्टंट’ कहा जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “योगी बाबा की कहानी देखने से डर किसे लग रहा है?” वहीं, दूसरे ने सवाल किया, “क्या हर बायोपिक पर फतवा लगेगा?”

यह विवाद फिल्म की रिलीज को और चर्चित बना रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन योगी समर्थक इसे उनकी लोकप्रियता का प्रमाण बता रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि सिनेमाघरों में दर्शकों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।

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