मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने 6 दिसंबर 2019 को रामपुर के सिविल लाइन्स थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि अब्दुल्लाह आज़म खान ने स्वार सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपनी उम्र छिपाने के उद्देश्य से दो पैन कार्ड बनवाए। एक पैन कार्ड में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है, जो उनकी शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों से मेल खाती है। लेकिन दूसरे पैन कार्ड में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दिखाई गई, जिससे वे 25 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा पूरी कर सकें।
आरोप था कि आज़म खान ने अपने बेटे के साथ साजिश रचकर जाली दस्तावेज तैयार कराए और बैंक रिकॉर्ड में बदलाव करवाया। इस फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल अब्दुल्लाह ने नामांकन पत्र, बैंकिंग लेन-देन और आयकर रिटर्न में किया।
पुलिस ने जांच के बाद अब्दुल्लाह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें आज़म खान को सह-अभियुक्त बनाया गया। मामला आईपीसी की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखा देने के लिए जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज हुआ।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया। विशेष लोक अभियोजक संदीप सक्सेना ने बताया कि अदालत ने पाया कि अब्दुल्लाह ने “अपने पिता के साथ साजिश” कर जाली पैन कार्ड प्राप्त किया और आधिकारिक रिकॉर्ड में जमा किया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस एफआईआर को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि जन्म प्रमाण-पत्र की जालसाजी और पैन कार्ड का दुरुपयोग अलग-अलग अपराध हैं।
आज़म खान की प्रतिक्रिया
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आज़म खान ने कहा, “अदालत का फैसला है। गुनहगार समझा तो सज़ा सुनाई गई…”। यह बयान एक न्यूज़ एजेंसी को दिए गए वीडियो में दर्ज किया गया, जिसमें वे कोर्ट पहुंचने से पहले नजर आए। सपा नेता ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि कानून सबके लिए बराबर है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और अन्य मामले
आज़म खान, सपा के संस्थापक सदस्य और पूर्व कैबिनेट मंत्री, रामपुर से नौ बार विधायक रह चुके हैं। उनके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 12 में फैसला आ चुका है—सात में दोषसिद्धि और पांच में बरी। 2023 में वे जन्म प्रमाण-पत्र जालसाजी, नफरत फैलाने और ट्रैफिक बाधित करने जैसे मामलों में दोषी ठहराए गए थे। उनकी पत्नी तंजीन फातिमा भी 2023 के फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र मामले में सजा काट चुकी हैं।
सपा के लिए यह फैसला रामपुर में बड़ा झटका है, जहां अब्दुल्लाह ने 2017 में स्वार सीट जीती थी। पार्टी नेताओं ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है, लेकिन कोई आधिकारिक बयान अभी नहीं आया। आज़म के वकील ने रामपुर जेल में पिता-पुत्र को एक साथ रखने की याचिका दाखिल की है।
सोशल मीडिया पर बहस
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस फैसले को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। कई यूजर्स ने इसे न्याय का प्रतीक बताया, जबकि कुछ ने भाजपा नेता जीवेश मिश्र के मिलावटी दवा मामले में मात्र 7 हजार रुपये के जुर्माने से तुलना कर “कानून की असमानता” का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “सपा नेता को 7 साल जेल, बीजेपी नेता को 7 हजार जुर्माना—लोकतंत्र जिंदा है, लेकिन नाम देखकर सजा मिलती है।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “यह मामला 2017 चुनाव से जुड़ा, जहां उम्र छिपाने के लिए जालसाजी की गई।”
यह सजा आज़म खान के लंबे कानूनी संघर्ष में एक नया अध्याय जोड़ेगी है। सपा समर्थक अपील की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल रामपुर जेल में पिता-पुत्र की नई यात्रा शुरू हो चुकी है।

