दिल्ली के जंतर-मंतर पर फिर किसानो का जमावड़ा, गूंजी किसानों की आवाज, एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग फिर तेज

Farmers/MSP News: राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बार फिर हजारों किसानों का जमावड़ा देखने को मिला। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान संगठनों के आह्वान पर देशभर से आए किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, और 2020-21 के आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी जैसे मुद्दों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। भारी बारिश और पुलिस की सख्ती के बावजूद किसानों का उत्साह अडिग रहा, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह प्रदर्शन एक बार फिर बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।

महापंचायत में उठीं प्रमुख मांगें
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले आयोजित इस किसान महापंचायत में तीन प्रमुख मांगें केंद्र में रहीं:
1. एमएसपी की कानूनी गारंटी: किसानों का कहना है कि एमएसपी उनकी फसलों के लिए मूल अधिकार है, जिसके बिना खेती लाभकारी नहीं हो सकती। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार सभी फसलों पर एमएसपी को कानूनी रूप दे।
2. कर्ज माफी और आर्थिक सहायता: किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़े उद्योगपतियों के लाखों करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए, लेकिन किसानों का कुल कर्ज 15 लाख करोड़ से अधिक नहीं है। सरकार को इसे एकमुश्त माफ करना चाहिए।
3. कृषि क्षेत्र को व्यापार समझौतों से बाहर रखना: किसानों ने मांग की कि भारत-अमेरिका के बीच होने वाले किसी भी व्यापार समझौते में कृषि, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य पालन को शामिल न किया जाए, क्योंकि इससे छोटे किसानों को नुकसान होगा।

किसानों का गुस्सा और सरकार पर दबाव
महापंचायत में शामिल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के किसानों ने सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला। किसान नेता सुखविंदर सिंह ने कहा, “सरकार ने पिछले 10 सालों में उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया, लेकिन किसानों को केवल आश्वासन मिले।” वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य किशन पाल चौधरी ने किसान सम्मान निधि की राशि को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाकर कम से कम 12,000 रुपये प्रतिवर्ष करने की मांग की।

किसान नेताओं ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। मंच से जगजीत सिंह डल्लेवाल, पी.आर. पांड्यन, और अन्य नेताओं ने सरकार को मांगपत्र सौंपा, जिसमें 22 अगस्त को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजे गए पत्र का जिक्र भी था।

पुलिस की सख्ती, फिर भी डटे किसान
जंतर-मंतर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही, जहां दिल्ली पुलिस ने करीब 1,200 जवानों को तैनात किया। कई किसानों को चेकिंग के नाम पर रास्ते में रोका गया, जिससे दिल्ली की सड़कों पर जाम की स्थिति बन गई। इसके बावजूद, किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी और महापंचायत को सफल बनाया।

क्या फिर होगा बड़ा आंदोलन?
2020-21 के किसान आंदोलन की यादें अभी भी ताजा हैं, जब दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसानों ने महीनों तक डेरा डाला और तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने में सफलता हासिल की। हालांकि, किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी और अन्य वादों को पूरा नहीं किया। इस महापंचायत को कई लोग उस आंदोलन की अगली कड़ी के रूप में देख रहे हैं।

किसान नेता मंजीत सिंह ने कहा, “हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन अगर सरकार हमारी मांगों को अनदेखा करेगी, तो हम दिल्ली की सड़कों पर फिर उतरेंगे।” सरकार की ओर से बातचीत का प्रस्ताव आया है, लेकिन किसानों ने स्पष्ट किया कि केवल ठोस कार्रवाई से ही वे संतुष्ट होंगे।

आगे क्या?
यह महापंचायत न केवल किसानों की एकजुटता का प्रतीक है, बल्कि सरकार के लिए एक बड़ा संदेश भी है। किसानों का कहना है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें उठाते रहेंगे। आने वाले दिन इस बात का फैसला करेंगे कि क्या यह प्रदर्शन एक बड़े आंदोलन में बदलता है या सरकार किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार करती है।

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