Faith vs Health: मुंबई के दादर में दशकों पुराने कबूतरखाने को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। यह कार्रवाई सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों, विशेष रूप से कबूतरों की बीट और पंखों से होने वाली श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण की गई। बीएमसी ने 2 अगस्त, 2025 को दादर कबूतरखाने को प्लास्टिक की तिरपाल से ढक दिया और वहां कबूतरों को दाना डालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बीएमसी की कार्रवाई और विरोध
बीएमसी ने शुक्रवार, 1 अगस्त, 2025 को रात के समय कबूतरखाने को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन जैन समुदाय और स्थानीय लोगों के तीव्र विरोध के कारण यह प्रयास विफल रहा। इसके बाद शनिवार, 2 अगस्त को बीएमसी ने पुलिस की मदद से कबूतरखाने को तिरपाल से ढक दिया और वहां दाना डालने पर सख्ती से रोक लगा दी। इस कार्रवाई के दौरान लगभग 25 बोरियां अनाज जब्त किया गया और अवैध ढांचों को हटा दिया गया। बीएमसी ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 223, 270 और 271 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।
जैन समुदाय का विरोध
दादर कबूतरखाना, जो श्री शांतिनाथ भगवान श्वेतांबर जैन मंदिर के पास स्थित है, जैन समुदाय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। समुदाय का कहना है कि कबूतरों को दाना डालना करुणा और दान की उनकी परंपरा का हिस्सा है। जैन प्रतिनिधियों ने इसे “आस्था पर हमला” करार देते हुए कोलाबा से गेटवे ऑफ इंडिया तक शांतिपूर्ण मार्च निकाला और “कबूतरों को बचाओ” के नारे लगाए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि तिरपाल लगाए जाने के बाद हजारों कबूतर भूख से मर गए, हालांकि बीएमसी ने इन दावों को खारिज किया है।
स्वास्थ्य जोखिम और कानूनी कार्रवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 30 जुलाई, 2025 को बीएमसी को कबूतरखानों पर सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, क्योंकि कबूतरों की बीट से हिस्टोप्लाज़मोसिस, सिटाकोसिस और एलर्जिक एल्वोलाइटिस जैसी बीमारियां फैलने का खतरा है। बीएमसी ने अब तक 100 से अधिक लोगों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया है और माहिम में एक अज्ञात कार चालक के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की गई है। मुंबई में 51 कबूतरखानों को बंद करने का अभियान भी शुरू किया गया है।
आस्था बनाम स्वास्थ्य
यह मुद्दा अब आस्था और स्वास्थ्य के बीच टकराव का रूप ले चुका है। जहां बीएमसी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कबूतरखानों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानते हैं, वहीं जैन समुदाय और पक्षी प्रेमी इसे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का हिस्सा बताते हैं। बीएमसी ने सीसीटीवी कैमरों और सफाई मार्शलों की तैनाती कर निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन स्थानीय लोग और पशु प्रेमी इसका विरोध जारी रखे हुए हैं।
आगे क्या?
बीएमसी का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही है। वहीं, जैन समुदाय और कबूतरखाना ट्रस्ट ने इस कार्रवाई को अदालत में चुनौती देने की बात कही है। यह विवाद मुंबई में स्वास्थ्य और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संतुलन को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दिया है।
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