ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान बड़ा हादसा
➡️ पुल के पिलरों पर रखते समय अचानक गिरे भारी सीमेंटेड बीम
➡️ तीन मजदूर मलबे में दबे, अस्पताल में भर्ती
➡️ घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल का आरोप, ग्रामीणों में आक्रोश
Expressway construction accident: जडौदापांडा। दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य के दौरान बड़ा हादसा हो गया। मोरा गांव के पास गंगा लिंक नहर पर बन रहे पुल का एक हिस्सा अचानक ढह गया। रविवार देर शाम पिलरों पर रखे जा रहे भारी-भरकम तीन सीमेंटेड बीम एक-दूसरे से टकराकर नीचे आ गिरे, जिसके मलबे में तीन मजदूर दब गए। हादसे के बाद मौके पर अफरातफरी मच गई।
Expressway construction accident:
मलबे में दबे मजदूरों को निकालने के लिए क्रेन का सहारा लिया गया और घायलों को तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। राहत और बचाव कार्य देर रात तक जारी रहा, क्योंकि इस बात की आशंका थी कि मलबे के नीचे और मजदूर फंसे हो सकते हैं।
कैसे हुआ हादसा?
दिल्ली-देहरादून ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा है। कृष्णा कंस्ट्रक्शन कंपनी को मोरा गांव के पास गंगा लिंक नहर पर पुल निर्माण का ठेका मिला हुआ है। रविवार को पुल के पिलरों पर बीम रखने का काम किया जा रहा था। जैसे ही क्रेन से तीसरा बीम रखा गया, वह पहले से रखे दो बीमों से टकरा गया और देखते ही देखते तीनों बीम नीचे गिर पड़े।
हादसे के बाद मजदूरों में दहशत, ठेकेदार पर लगे गंभीर आरोप
हादसे के बाद मजदूरों और कर्मचारियों में भगदड़ मच गई। कई लोग मौके से फरार हो गए। ग्रामीणों का आरोप है कि पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे बीम कमजोर होकर गिर गए।
ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए ठेकेदार कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर शिव मोहन जब घटनास्थल पर पहुंचे, तो पुलिस ने स्थिति बिगड़ती देख उन्हें वहां से वापस भेज दिया।
डंपर भी आया चपेट में, जांच की मांग
हादसे के दौरान एक डंपर भी क्षतिग्रस्त हो गया। ग्रामीणों और मजदूरों ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। फिलहाल, प्रशासन और ठेकेदार कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
यह पहली बार नहीं है जब इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान हादसा हुआ है। इससे पहले भी निर्माण कार्य में लापरवाही के चलते कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस हादसे पर क्या कार्रवाई करता है और क्या ठेकेदार कंपनी की जवाबदेही तय होगी या फिर मामला यूं ही दबा दिया जाएगा?