इलेक्टोरल ट्रस्ट्स से राजनीतिक दलों को रिकॉर्ड चंदा: 2024-25 में 3811 करोड़ रुपये, भाजपा को 82% से ज्यादा हिस्सा

इलेक्टोरल ट्रस्ट्स से राजनीतिक दलों को रिकॉर्ड चंदा: सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करने के बाद राजनीतिक दलों को चंदे का प्रमुख माध्यम बने इलेक्टोरल ट्रस्ट्स से वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 3,811.37 करोड़ रुपये का योगदान मिला। यह पिछले वर्ष (2023-24) के 1,218 करोड़ रुपये से तीन गुना अधिक है। चुनाव आयोग को सौंपे गए रिपोर्ट्स के अनुसार, नौ इलेक्टोरल ट्रस्ट्स ने यह राशि राजनीतिक दलों को वितरित की।

प्रमुख ट्रस्ट्स और वितरण
• शीर्ष तीन ट्रस्ट्स — प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट और न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट — ने कुल योगदान का 98 प्रतिशत हिस्सा संभाला।
• प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे बड़ा ट्रस्ट रहा, जिसने 2,668 करोड़ रुपये प्राप्त किए और इनमें से अधिकांश राशि भाजपा को गई।
• कुल वितरित राशि में भाजपा को लगभग 82 प्रतिशत (करीब 3,142 करोड़ रुपये) मिला, जबकि कांग्रेस को 8 प्रतिशत से कम हिस्सा मिला।

बड़े कॉर्पोरेट डोनर्स
सात प्रमुख कॉर्पोरेट समूहों — टाटा, ओपी जिंदल ग्रुप, लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी), मेघा इंजीनियरिंग, अशोक लेलैंड, डीएलएफ और महिंद्रा — ने ट्रस्ट्स को कुल योगदान का 55 प्रतिशत (2,107 करोड़ रुपये) दिया। ये समूह निर्माण, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग और पावर जैसे सेक्टर्स में सक्रिय हैं।
• टाटा ग्रुप सबसे बड़ा डोनर रहा। इसके विभिन्न कंपनियों (टाटा संस, टीसीएस, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर आदि) ने प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को 915 करोड़ रुपये दिए। इनमें से करीब 83 प्रतिशत (758 करोड़ रुपये) भाजपा को और 77 करोड़ रुपये कांग्रेस को मिले। शेष राशि टीएमसी, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, बीजद, बीआरएस, एलजेपी (राम विलास), जद(यू) और डीएमके जैसी पार्टियों को गई।
• एलएंडटी ग्रुप की रियल एस्टेट इकाई एलिवेटेड एवेन्यू रियल्टी ने प्रूडेंट ट्रस्ट को 500 करोड़ रुपये दिए।
• मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड (एमईआईएल) ने 175 करोड़ रुपये दिए, जबकि इसके एमडी पीवी कृष्णा रेड्डी ने व्यक्तिगत रूप से करीब 150 करोड़ रुपये का योगदान किया।
• अन्य बड़े डोनर्स: महिंद्रा (160 करोड़), ओपी जिंदल (157 करोड़), डीएलएफ (100 करोड़) और अशोक लेलैंड (100 करोड़)।

पृष्ठभूमि और प्रभाव
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम खत्म होने के बाद कंपनियों ने इलेक्टोरल ट्रस्ट्स को प्रमुख चैनल बनाया। पहले यह माध्यम कम इस्तेमाल होता था, लेकिन 2024-25 में इसमें भारी उछाल आया। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में इन आंकड़ों की पुष्टि हुई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रिपोर्ट्स से यह तस्वीर सामने आई है।

यह विकास भारतीय राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और कॉर्पोरेट प्रभाव के सवालों को फिर से उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रस्ट्स बॉन्ड्स की जगह ले रहे हैं, लेकिन डोनर्स की पहचान अब भी पूरी तरह सार्वजनिक नहीं होती।

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