आर्थिक मोर्चा:निवेशको को चीन पर नही भारत पर है अधिक भरोसा
आर्थिक मोर्चों पर चीन को झटका लगा है। इन खबरों से इस बात को भी बल मिल रहा है कि भारतीय शेयर बाजार कोरोना काल के बाद के दौर में एशिया में निवेश के लिहाज से सबसे बेहतर साबित हो रहे हैं।
मालूम हो कि साल 2020 के आखिर से भारत के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स ने लोकल करेंसी (रुपए) में सालाना 14 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। एशिया में 1 ट्रिलियन डॉलर (करीब 80 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा की इकोनॉमी में जितने भी इंडेक्स हैं, उनमें सेंसेक्स का परफॉर्मेंस सबसे बेहतरीन रहा है।
भारतीय बाजार तीन साल से लगातार स्थिर रिटर्न दे रहा है, जबकि चीन में कभी-कभार आने वाली तेजी हमेशा रिटर्न देने में विफल रही है। चीन में विदेशी निवेश मई 2021 में चरम पर था। अमेरिकी डॉलर के लिहाज से भी भारतीय बाजार सबसे बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं। इसी अगस्त में जहां दुनियाभर की इक्विटी में 5ः से ज्यादा की गिरावट आई, भारतीय बाजार में महज 2.1ः की ही गिरावट दर्ज की गई।
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चीन के बाजार 50 प्रतिशत तक गिरे, तो भारत में 25 प्रतिशत बढ़े। मई 2021 में चीन में विदेशी निवेश अपने चरम पर था। तब वहां पिछले 12 महीनों में 300 बिलियन डॉलर आए थे। इससे तीन महीने पहले चीन का इंडेक्स भी अपनी अधिकतम ऊंचाई पर पहुंचा था। भारत में भी उस समय निवेश चरम पर था, लेकिन इसकी रफ्तार चीन की रफ्तार का 10वां हिस्सा ही थी। अब हालात बदल चुके हैं। तब से चीन के बाजार 50ः तक गिर चुके हैं। वहीं, भारत में 25ः की बढ़त दर्ज हुई है। भारती बाजार में तेजी के फैक्टर ज्यादा, पहले मिला अच्छा रिटर्न इस बात की गारंटी नहीं होता है कि भविष्य में भी दिन अच्छे होंगे, लेकिन इस बात की संभावना ज्यादा है कि भारत की तेजी के पीछे जो फैक्टर रहे हैं वे आगे भी बरकरार रहेंगे।
भारत के बाजार में तेजी का दौर चीन की तुलना में बिल्कुल उलट है। कोरोना महामारी के कारण होने वाली मौतों के मामले में चीन का रिकॉर्ड बाकी दुनिया से बेहतर रहा था। इसके लिए उसकी खूब वाहवाही भी हुई। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि महामारी के बाद एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बेहतर ग्रोथ दिखाएगी। उम्मीद तो यहां तक थी कि चीन पूरी दुनिया को उसी तरह उबार सकता है जैसा उसने 2008-09 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद किया था।
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इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। जो उम्मीदें चीन से थीं उसमें वह फेल होता दिख रहा है। वहीं, भारत अब सबकी आंखों का तारा बन रहा है। भारत को मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति और वैश्विक सप्लाई चेन में आ रहे बदलावों का फायदा मिल रहा है। वेस्ट के साथ चीन के व्यापारिक तनाव और वेस्ट कंट्रीज के मित्र देशों में मैन्युफैक्चरिंग पर जोर ने भारत की स्थिति को और भी मजबूत किया है।