शाम ढलते ही बिना हेडलाइट के दौड़ाती गाड़ियां, सड़कें बन रही मौत की सौगात

E-rickshaw/Noida News: नोएडा की चमचमाती सड़कों पर दिनभर की भागदौड़ के बाद शाम ढलते ही एक नया खतरा मंडराने लगता है। ई-रिक्शा चालक, जो शहर की लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के लिए वरदान बने हुए हैं, अब यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बिना हेडलाइट जलाए अंधेरे में दौड़ाती इन गाड़ियां ने सड़कों पर आतंक मचा रखा है। हाल के महीनों में ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों से साफ है कि ई-रिक्शा से जुड़ी दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, जिनमें गंभीर चोटें और मौतें शामिल हैं। शहरवासी अब इस ‘अंधेरी सवारी’ से परेशान हैं, जहां बैटरी बचाने के नाम पर जान जोखिम में डाली जा रही है।

नोएडा ट्रैफिक पुलिस के डेटा के मुताबिक, जनवरी से अगस्त 2025 तक 45,000 से ज्यादा चालान ई-रिक्शा चालकों को जारी किए गए, जबकि 2,633 वाहन जब्त हो चुके हैं। इनमें से कई उल्लंघन बिना लाइट के चलने, गलत साइड ड्राइविंग और ओवरलोडिंग से जुड़े हैं। एक ट्रैफिक अधिकारी ने बताया, “ई-रिक्शा चालक बैटरी बचाने के चक्कर में हेडलाइट नहीं जलाते, जिससे रात में ये अदृश्य हो जाते हैं। गाजियाबाद-नोएडा रोड पर ही कई हादसे ऐसे ही हुए हैं, जहां तेज रफ्तार वाहन इनसे टकरा गए।” शहर में करीब 24,000 से ज्यादा ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन 70% से अधिक बिना उचित सेफ्टी फीचर्स के हैं, जैसे शॉक एब्जॉर्बर या प्रॉपर लाइटिंग।

हाल ही में एक दर्दनाक हादसे ने इस समस्या को और उजागर कर दिया। 25 नवंबर को कैप्टन विजयंत थापर रोड पर एक डंपर ने ई-रिक्शा को पीछे से टक्कर मार दी, जिसमें चालक मोहम्मद अनीस और यात्री राजेंदरी की मौके पर ही मौत हो गई। डंपर की तेज रफ्तार तो थी ही, लेकिन ई-रिक्शा में हेडलाइट न होने से चालक को समय रहते वाहन दिखाई ही नहीं दिया।

प्रत्यक्षदर्शी राजू (राजेंदरी के पति) ने बताया, “अंधेरा होने के बाद रिक्शा की लाइट बंद थी। डंपर चालक भाग गया, लेकिन हमारी लापरवाही ने दो जिंदगियां लील लीं।” पुलिस ने डंपर चालक को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन ई-रिक्शा चालक पर भी लापरवाही का केस दर्ज किया गया।

यह कोई पहला मामला नहीं है। मई 2024 में एक तेज रफ्तार बीएमडब्ल्यू ने ई-रिक्शा को टक्कर मार दी, जिसमें दो यात्रियों की मौत हो गई और तीन घायल हुए। सितंबर 2023 में अम्बेडकर रोड पर एक ई-रिक्शा से टकराई होंडा अमेज ने दो लोगों की जान ले ली। ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि बिना हेडलाइट के चलना मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 184 (डेंजरस ड्राइविंग) के तहत अपराध है, जिसके लिए 5,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। फिर भी, प्रवर्तन में कमी बनी हुई है।

नोएडा के सेक्टर 18 मेट्रो स्टेशन के आसपास रहने वाले अरविंद कुमार जैसे सैकड़ों यात्री रोज इस खतरे से जूझते हैं। “मेट्रो से उतरते ही ई-रिक्शा वाले सवारी भरते हैं, लेकिन शाम को ये लाइट बंद कर दौड़ाते हैं। ट्रैफिक जाम तो बनता ही है, ऊपर से दुर्घटना का डर।” सोशल मीडिया पर भी शिकायतों का सैलाब है। एक यूजर ने एक्स पर पोस्ट किया, “नोएडा सेक्टर 58 में रेड लाइट पर ई-रिक्शा बिना हेलमेट और लाइट के कट मारते हैं। ट्रैफिक पुलिस सो रही है?”

परिवहन विभाग ने अप्रैल 2025 से विशेष अभियान शुरू किया है, जिसमें 44,000 ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का वेरिफिकेशन हो रहा है। बिना लाइसेंस, बीमा या रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। एआरटीओ सियाराम वर्मा ने कहा, “ई-रिक्शा पर्यावरण-अनुकूल हैं, लेकिन सेफ्टी फर्स्ट। हम रूट्स तय करने और लाइट अनिवार्य करने पर काम कर रहे हैं। नाबालिग चालकों पर भी नजर रखी जा रही है।”

फिर भी, शहरवासियों का कहना है कि अभियान अस्थायी हैं। अट्टा मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी झा बोले, “ई-रिक्शा सड़क किनारे खड़े होकर ट्रैफिक जाम पैदा करते हैं। बिना लाइट के रात में ये और खतरनाक हो जाते हैं।”

नोएडा अथॉरिटी और ट्रैफिक पुलिस अब संयुक्त रूप से कदम उठाने की योजना बना रही है। शहरवासियों की मांग है कि ई-रिक्शा के लिए डेडिकेटेड लेन और सख्त नाइट चेकिंग हो। वरना, ये ‘हरित वाहन’ सड़कों पर ‘काला बादल’ बनकर मंडराते रहेंगे।

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