यूपी कैबिनेट के फैसले से करीब एक लाख होम बायर्स को मिलेगा मालिकाना हक
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार लोगों की समस्याओं का समाधान करने में जुटी है। अब यूपी कैबिनेट की ओर से नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत समिति की सलाह पर बिल्डरों को छूट देने के बाद अब नोएडा-ग्रेनो के करीब एक लाख होम बायर्स को तुरंत राहत मिलेगी। पहले चरण में फ्लैटों के निर्माण और कब्जे के अलावा रजिस्ट्री हो पाएगी, मगर इसके लिए बिल्डरों को छूट के बाद बकाया धनराशि चुकानी होगी। वही दूसरे चरण में एक लाख से अधिक फ्लैट बायर्स को चरणबद्ध तरीके से राहत मिलेगी क्योंकि इनके मामले अभी कोर्ट और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में फंसे हुए हैं। मामलों का हल होने के बाद ही ऐसे बायर्स को राहत मिलेगी।
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सरकार की ओर से बिल्डरों को 14 अगस्त 2013 से 19 अगस्त 2015 तक और एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक की कोविड की अवधि को जीरो पीरियड घोषित किया गया है। इस अवधि के लिए बिल्डरों को ब्याज से छूट मिलेगी। इसके अलावा उनको दंडात्मक ब्याज से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा बिल्डरों को बकाये का 25 प्रतिशत तुरंत जमा कराने के बाद ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) मिलना शुरू हो जाएगा, बाकी 75 प्रतिशत राशि तीन साल में जमा करनी होगी। इस तरह से बिल्डरों को बकाये से पूरी मुक्ति मिल जाएगी और फ्लैट बायर्स को वर्षों का सपना पूरा होने का रास्ता खुल जाएगा।
बता दें कि नोएडा में कुल 118 प्रोजेक्ट्स हैं। इनमें से 24 में किसी तरह का बकाया नहीं है। कुछ प्रोजेक्ट्स हाल फिलहाल के है। बाकी बची हुई 87 परियोजनाओं में बिल्डरों को डिफॉल्टर घोषित किया गया है। इनमें से 14 प्रोजेक्ट्स अलग-अलग कोर्ट में हैं। वहीं, 17 परियोजनाएं एनसीएलटी में हैं। 26 परियोजनाएं अधूरी तो 30 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। पहले चरण में नोएडा की 56 परियोजनाओं के 31,700 फ्लैट खरीदारों को फायदा होगा। इनमें से अधूरी परियोजनाओं के 25 हजार और पूरी हो चुकी परियोजनाओं के 6700 खरीदार शामिल हैं। इन परियोजनाओं पर प्राधिकरण का 7800 करोड़ रुपये बकाया हैं। बकाये में करीब 1800-1900 करोड़ की छूट को हटा दें तो बिल्डरों से बाकी बचे हुए पैसे जमा कराने के बाद फ्लैटों की रजिस्ट्री और कब्जे की कवायद की जा सकेगी।
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ठीक इसी प्रकार से ग्रेनो में कुल 191 प्रोजेक्ट्स हैं। इनमें से 50 परियोजनाओं पर एक भी पैसा बकाया नहीं है। इसके अलावा कुछ नई परियोजनाएं हैं। यहां की 124 परियोजनाओं के बिल्डरों को डिफॉल्टर श्रेणी में रखा गया है। इनमें से 28 परियोजनाएं अलग-अलग कोर्ट और एनसीएलटी में हैं। इनमें से बाकी बची 96 परियोजनाओं के करीब 68 हजार फ्लैट खरीदारों को तुरंत राहत मिलेगी। हालांकि इन बिल्डरों पर प्राधिकरण का 5568 करोड़ का बकाया है। अगर छूट की राशि घटा दें तो करीब 4200 करोड़ रुपये बचते हैं, जिसे नियम के तहत चुकाना होगा।
बिल्डरों पर फंसे है प्राधिकरणों के ये रुपये
– नोएडा में बिल्डरों पर बकाया – 28 हजार करोड़
– ग्रेनो में बिल्डरों पर कुल बकाया – 15 हजार करोड़
– नोएडा में मंजूर की गई यूनिट – 1,69,250
– ग्रेटर नोएडा में मंजूर की गई यूनिट – 2,61,814
– नोएडा में हो चुकी रजिस्ट्री – 65,277
– ग्रेटर नोएडा में हो चुकी रजिस्ट्री – 96,410
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कोर्ट के मुकदमों में फंसे हैं करीब 1.10 लाख फ्लैट
नोएडा और ग्रेनो के 1.10 लाख फ्लैट कोर्ट मुकदमों में फंसे हुए हैं। इनमें नोएडा में 35 हजार तो ग्रेटर नोएडा में 75 हजार यूनिट हैं। ऐसी परियोजनाओं के खरीदारों को तभी राहत मिल पाएगी जब कोर्ट से मामले का समाधान हो। इनमें से कुछ परियोजनाएं अलग-अलग कोर्ट तो कुछ परियोजनाएं एनसीएलटी में हैं। इनके समाधान के उपाय भी साथ-साथ होते रहेंगे।