रक्षाबंधन से पहले DTC कर्मचारियों की बढ़ी चिंता, नहीं मिला वेतन, छुट्टी पर रोक, पक्की नौकरी की मांग अभी भी अधूरी

DTC Employee News: रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक है, लेकिन दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के करीब 24,000 कर्मचारी, जिनमें ड्राइवर और कंडक्टर शामिल हैं, अपने पिछले महीने के वेतन का इंतज़ार कर रहे हैं। आमतौर पर हर महीने की पहली तारीख को वेतन खाते में आ जाता था, लेकिन इस बार 7 अगस्त तक भी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इसके साथ ही, DTC प्रबंधन ने कर्मचारियों को नोटिस जारी कर रक्षाबंधन के दिन छुट्टी न लेने की हिदायत भी दे दी गई है। जिससे कर्मचारियों में नाराज़गी बढ़ गई है। कर्मचारियों का कहना है कि बिना वेतन के वे अपने परिवार और बहनों के लिए त्योहार कैसे मनाएंगे।

वेतन में देरी क्यो?
DTC कर्मचारी एकता यूनियन ने इस मुद्दे पर गहरी नाराज़गी जाहिर की है। यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने कहा, “हमारे कर्मचारी मेहनत से दिल्ली की सड़कों पर बसें चलाते हैं, लेकिन वेतन में देरी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस बार वेतन 15 अगस्त के बाद ही आने की संभावना है। रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्योहार पर कर्मचारी अपने परिवार को क्या मुंह दिखाएंगे? बिना पैसे के बहनों को उपहार देना भी मुश्किल हो गया है।”

छुट्टी पर नोटिस
DTC प्रबंधन ने कर्मचारियों को रक्षाबंधन के दिन छुट्टी न लेने का नोटिस जारी किया है। यूनियन का कहना है कि यह नोटिस कर्मचारियों के प्रति प्रबंधन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। एक कर्मचारी, पंकज शर्मा, ने बताया, “हमारे घरों में भी त्योहार है। परिवार के साथ समय बिताना हमारा हक है, लेकिन नोटिस ने हमें मजबूर कर दिया। ऊपर से वेतन की देरी ने हालात और खराब कर दिए।”

पक्की नौकरी की मांग सालों से लंबित
DTC के संविदा कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग उनकी नौकरी को स्थायी करने की है, जो पिछले कई सालों से अनसुनी रही है। कर्मचारी एकता यूनियन ने बताया कि करीब 28,000 कर्मचारी संविदा पर काम कर रहे हैं, जिनमें 100% कंडक्टर और 80% ड्राइवर शामिल हैं। ये कर्मचारी स्थायी कर्मचारियों के समान काम करते हैं, लेकिन उनका वेतन स्थायी कर्मचारियों की तुलना में काफी कम है।

पिछले साल नवंबर 2024 में कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर हड़ताल की थी, जिसके बाद दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी ने वेतन वृद्धि और स्थायीकरण के लिए नीति बनाने का आश्वासन दिया था। दिल्ली सरकार ने संविदा ड्राइवरों और कंडक्टरों के वेतन में बढ़ोतरी की मंजूरी दी थी, जिसमें ड्राइवरों का वेतन 21,918 रुपये से बढ़कर 32,918 रुपये और कंडक्टरों का वेतन 21,900 रुपये से बढ़कर 29,250 रुपये करने का प्रस्ताव शामिल था। हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि स्थायीकरण की प्रक्रिया अभी भी अधूरी है।

DTC प्रबंधन और सरकार पर सवाल
कर्मचारियों ने दिल्ली सरकार और DTC प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। यूनियन के महासचिव मनोज शर्मा ने कहा, “हमारी मांगें सिर्फ वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं हैं। हम चाहते हैं कि समान काम के लिए समान वेतन मिले और हमें स्थायी किया जाए। 10-15 साल से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है।”

DTC कर्मचारी एकता यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे फिर से हड़ताल कर सकते हैं, जिसका असर दिल्ली की बस सेवाओं पर पड़ सकता है। दूसरी ओर, दिल्ली की वर्तमान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने DTC की स्थिति सुधारने का वादा किया है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

आगे की राह
DTC कर्मचारियों की मांगों में वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता, ग्रेड पे, और स्थायी नौकरी के साथ-साथ कार्यस्थल पर बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। कर्मचारियों ने मांग की है कि उनकी वर्दी का रंग भी बदला जाए, क्योंकि वर्तमान आसमानी रंग को वे सम्मानजनक नहीं मानते।

रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार से पहले वेतन में देरी और छुट्टी पर रोक ने कर्मचारियों के बीच असंतोष को और बढ़ा दिया है। दिल्ली की जनता के लिए सार्वजनिक परिवहन का आधार मानी जाने वाली DTC की बसें इन कर्मचारियों के बूते ही चलती हैं, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान न देने से न केवल कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है, बल्कि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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