ड्रीम11 बंद करेगी रियल-मनी गेमिंग बिजनेस! ड्रीम11 की पूर्व वाइस ने बताया “बेहद अन्यायपूर्ण”

Delhi News : भारत की अग्रणी फैंटसी स्पोर्ट्स कंपनी ड्रीम11 (Dream Sports) ने अपने रियल-मनी गेमिंग (RMG) कारोबार को बंद करने का फैसला किया है। यह निर्णय हाल ही में संसद द्वारा पारित ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025’ के बाद लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी के एक आंतरिक टाउन हॉल मीटिंग में बुधवार को कर्मचारियों को दी गई। ड्रीम11 की आय का 75% से अधिक हिस्सा रियल-मनी गेमिंग से आता है, जिसके तहत उपयोगकर्ता पैसे देकर फैंटसी क्रिकेट और अन्य खेलों में टीमें बनाकर नकद पुरस्कार जीतते हैं।

क्या कहता है नया कानून
बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा में पारित ‘ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025’ ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और रियल-मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए लाया गया है। इस कानून के तहत उन सभी ऑनलाइन गेम्स पर रोक लगाई गई है, जिनमें उपयोगकर्ता पैसे जमा करके नकद पुरस्कार जीतने की उम्मीद रखते हैं, चाहे वे स्किल-बेस्ड हों या चांस-बेस्ड। इसमें फैंटसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी, और बेटिंग ऐप्स शामिल हैं। बिल में सेलेब्रिटी एंडोर्समेंट पर भी रोक और उल्लंघन करने वालों के लिए 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इसके अलावा, बिल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को रियल-मनी गेमिंग से संबंधित लेनदेन को प्रोसेस करने से रोकता है और ऐसे गेम्स के विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगाता है। सरकार का कहना है कि रियल-मनी गेमिंग से युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में वित्तीय और मानसिक नुकसान हो रहा है।

ड्रीम11 पर क्या होगा असर?
ड्रीम11, जिसकी वैल्यूएशन 8 बिलियन डॉलर है, भारत की सबसे बड़ी फैंटसी स्पोर्ट्स कंपनी है और इसके 200 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं। यह विशेष रूप से इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के लिए लोकप्रिय मानी जाती है, जहां उपयोगकर्ता 8 रुपये की न्यूनतम राशि से टीमें बनाकर लाखों रुपये तक जीत सकते हैं। हालांकि, नए कानून के तहत इसका मुख्य व्यवसाय मॉडल, जो रियल-मनी गेमिंग पर आधारित है, अब अवैध होगा।
सूत्रों के अनुसार, ड्रीम11 अब अपने गैर-रियल-मनी गेमिंग व्यवसायों जैसे फैनकोड, स्पोर्ट्स ड्रिप (पूर्व में स्पोर्ट्स रिदम), और क्रिकबज व विलो टीवी में निवेश को बढ़ाने पर ध्यान देगी। कंपनी अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए नए गेम फॉर्मेट्स की भी खोज कर सकती है, जैसा कि मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) ने किया है। हालांकि, रियल-मनी गेमिंग के बंद होने से कंपनी में बड़े पैमाने पर लागत में कटौती और छंटनी की संभावना है, क्योंकि इसका अधिकांश कार्यबल इस व्यवसाय पर निर्भर था।

उद्योग पर व्यापक प्रभाव की संभावना 
इस बिल का असर ड्रीम11 के अलावा माय11सर्कल, MPL, विनजो, गेम्स24×7, पोकरबाजी, और रम्मी सर्कल जैसी अन्य प्रमुख रियल-मनी गेमिंग कंपनियों पर भी पड़ेगा। भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, जो वर्तमान में 3.7 बिलियन डॉलर का है, का 86% राजस्व रियल-मनी गेमिंग से आता है। इस बैन से उद्योग को भारी नुकसान हो सकता है, जिसमें 2 लाख नौकरियों और 25,000 करोड़ रुपये के निवेश का जोखिम है।
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) और अन्य उद्योग संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस बिल पर पुनर्विचार करने और प्रोग्रेसिव रेगुलेशन की मांग की है। उनका कहना है कि पूर्ण प्रतिबंध से उपयोगकर्ता अवैध और अनियमित ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर जा सकते हैं, जो न तो कर चुकाते हैं और न ही सुरक्षित हैं।

क्या है आगे की राह
जबकि सरकार इस बिल के जरिए ई-स्पोर्ट्स और गैर-मनी गेमिंग को बढ़ावा देना चाहती है, रियल-मनी गेमिंग पर प्रतिबंध से उद्योग के सामने अनिश्चितता का माहौल है। ड्रीम11 की पूर्व वाइस प्रेसिडेंट स्मृता सिंह चंद्रा ने इसे “बेहद अन्यायपूर्ण” करार देते हुए कहा कि फैंटसी स्पोर्ट्स को गैंबलिंग के समान मानना गलत है, क्योंकि इसे कई उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट ने स्किल-बेस्ड गेम माना है।
हालांकि, सरकार का रुख सख्त है और उसका मानना है कि यह कदम समाज में गेमिंग की लत और वित्तीय नुकसान को कम करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बैन वैध कंपनियों और सरकार के लिए राजस्व का नुकसान कर सकता है, क्योंकि उपयोगकर्ता अनियमित विदेशी प्लेटफॉर्म्स की ओर जा सकते हैं।

ड्रीम11 और अन्य रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। नए कानून के बाद इन कंपनियों को अपने व्यवसाय मॉडल में बदलाव करना होगा या भारत में परिचालन बंद करना पड़ सकता है। यह कदम जहां सरकार के सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा के उद्देश्य के लिए लिया गया है, वहीं उद्योग और लाखों उपयोगकर्ताओं के लिए इसका दीर्घकालिक प्रभाव देखना बाकी है।

 

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