DPIIT : नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री गतिशक्ति के तहत नेटवर्क नियोजन समूह (एनपीजी) की 76वीं बैठक में उत्तर प्रदेश में वाराणसी – दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन के बीच तीसरी और चौथी लाइन की परियोजना के प्रस्ताव सहित रेलवे और राजमार्ग की पांच परियोजनाओं का गतिशक्ति के सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन किया गया।
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार राजधानी में आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अपर सचिव राजीव सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में गुरुवार को यह बैठक रेल मंत्रालय (एमओआर) और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की परियोजनाओं का मूल्यांकन पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) में उल्लिखित एकीकृत योजना के सिद्धांतों के साथ उनके संयोजन के विषय में बुलाई गयी थी।
विज्ञप्ति के अनुसार इस बैठक में अधिकारियों ने रेलवे की हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले वाराणसी-पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे खंड पर एक दोहरी विद्युतीकृत यात्री और माल लाइन है जिस पर दबाव अधिक है। इस खंड पर तीसरी और चौथी लाइन बनाने की योजना है। लगभग 16.72 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का उद्देश्य क्षमता और औसत गति में सुधार करना है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए डिज़ाइन की गई नई लाइनें विद्यमान मार्ग के समानांतर चलेंगी।
बैठक में छत्तीसगढ़ में मुंबई-हावड़ा ट्रंक रूट के खरसिया-परमलकासा खंड में 277.917 किलोमीटर की नई डबल लाइन के निर्माण, नागालैंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-202 को एक लेन रोड को चौड़ा कर दो लेन वाला बनाने, असम में बसनाघाट से बालूगांव होते हुए समरंग तक 91.48 किमी के राष्ट्रीय राजमार्ग -715ए को दो लेन बनने की परियोजना तथा मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग -102ए पर 188.8 किमी लम्बे लंबाईशांगशाक-तेंगनौपाल मार्ग को चौड़ा करने और सुधार कर दो लेन वाला बनाने की प्रस्तावित परियेाजना पर चर्चा की गयी।
बयान में कहा गया है कि इन परियोजनाओं से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने, परिवहन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करने और पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक लाभ और जीवन को सुगम बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है, जिससे इन क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान मिलेगा। बयान में कहा गया है कि नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) ने पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों – मल्टीमॉडल अवसंरचना का एकीकृत विकास, आर्थिक और सामाजिक सम्पर्क बिंदुओं के लिए संपर्क की अंतिम कड़ी के विकास, इंटरमॉडल कनेक्टिविटी और परियोजनाओं का समन्वित कार्यान्वयन- का मूल्यांकन के परिप्रेक्ष्य में इन पांच परियोजनाओं का मूल्यांकन किया ।
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