Weather Update News: अक्सर दिमाग में आता है कि कभी गर्मी तो कभी सर्दी क्यों होती है। ऐसा क्यो हो रहा हैं गर्मी ही क्यो नही रहती। इसके पीछे क्या राज है। आइए समझते है पूरा प्रोसेज…दरअसल, मौसम का बदलना प्रकृति का एक अटूट और गतिशील चक्र है। कभी तेज़ गर्मी तो कभी ठंडी हवाएं और कभी मूसलाधार बारिश दृ ये सभी मौसमी बदलाव हमारे जीवन, कृषि और पर्यावरण को गहरे रूप से प्रभावित करते हैं। मौसम बदलने की यह पूरी प्रक्रिया कैसे संचालित होती है। इसका मुख्य कारण हमारी पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर परिक्रमा और अपने अक्ष पर झुकाव है। इसलिए मौसम बदलते रहते है।
1. मुख्य कारक: पृथ्वी का झुकाव (Axial Tilt)
मौसम परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण पृथ्वी का अपने अक्ष (Axis) पर लगभग 23.5 झुका होना है। यह झुकाव हमेशा एक ही दिशा में बना रहता है, भले ही पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती रहे।
- गर्मी का मौसम: जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) सूर्य की ओर झुका होता है (जैसे जून के महीने में), तो सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इससे उत्तरी गोलार्ध को अधिक गर्मी मिलती है और यहां गर्मी का मौसम होता है। इस दौरान, दक्षिणी गोलार्ध सूर्य से दूर झुका होता है, इसलिए वहां सर्दी होती है।
- सर्दी का मौसम: इसके विपरीत, जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य से दूर झुका होता है (जैसे दिसंबर के महीने में), तो सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर तिरछी पड़ती हैं। सीधी किरणों की तुलना में तिरछी किरणें कम गर्मी देती हैं, जिससे उत्तरी गोलार्ध में सर्दी का मौसम आता है। इस समय दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी होती है।
2. परिक्रमा (Revolution) और अक्षांश (Latitude) का प्रभाव
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के दौरान, सूर्य की सीधी किरणें साल भर उत्तरायण (उत्तरी अक्षांशों की ओर बढ़ना) और दक्षिणायन (दक्षिणी अक्षांशों की ओर खिसकना) होती रहती हैं।
- विषुव (Equinoxes): साल में दो बार (लगभग 20 मार्च और 23 सितंबर), सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस समय दोनों गोलार्धों में दिन और रात लगभग बराबर होते हैं, और वसंत और शरद ऋतु का अनुभव होता है।
- संक्रांति (Solstices): सबसे लंबे और सबसे छोटे दिन, जो मौसम की चरम सीमा को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है (ग्रीष्म संक्रांति)।
3. अन्य सहायक कारक
मौसम केवल तापमान पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि वायुमंडल की गति पर भी निर्भर करता है:
- वायुदाब और हवाएं: सूर्य की गर्मी से हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, जिससे निम्न वायुदाब का क्षेत्र बनता है। ठंडी और भारी हवा उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों से निम्न वायुदाब वाले क्षेत्रों की ओर चलती है, जिससे हवाएं (पवन) पैदा होती हैं, जो तापमान और नमी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं।
- जल चक्र (Water Cycle): गर्मी से समुद्र, नदियों और झीलों का पानी वाष्पीकृत होकर भाप बनता है। यह भाप ऊपर जाकर ठंडी होती है और संघनन (Condensation) के माध्यम से बादल बनाती है। जब बादल अधिक भारी हो जाते हैं, तो पानी वर्षा बनकर बरसता है, जिससे वर्षा ऋतु आती है।
बदलते मौसम में संतुलन बनाए रखना
हाल के वर्षों में, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का यह पारंपरिक चक्र टूट रहा है। बाढ़, सूखा, और अत्यधिक गर्मी जैसी चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हमें अपने ग्रह के प्रति अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
मौसम का बदलना पृथ्वी की एक अद्भुत घटना है जो जीवन के लिए आवश्यक है। इस वैज्ञानिक प्रक्रिया को समझकर ही हम आने वाले मौसमों के लिए बेहतर तैयारी कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

