India-US trade deal: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर चल रही चर्चाओं ने नई गति पकड़ ली है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पिछले कुछ महीनों से दोनों देश व्यापारिक हितों के सभी क्षेत्रों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। उन्होंने टैरिफ से जुड़े विशिष्ट विवरणों पर वाणिज्य मंत्रालय और संबंधित सरकारी एजेंसियों से संपर्क करने की सलाह दी। जायसवाल के बयान से संकेत मिलता है कि समझौते की दिशा सकारात्मक है, लेकिन कुछ जटिल मुद्दों पर अभी और काम बाकी है।
जायसवाल ने कहा, “भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका पिछले कुछ महीनों से द्विपक्षीय व्यापार समझौते में लगे हुए हैं। ये चल रही चर्चाएं स्वाभाविक रूप से हमारे सभी हितों के क्षेत्रों को कवर करती हैं। और यदि आप इस विशेष मुद्दे पर, जैसे कि इस टैरिफ का कैसे प्रभाव पड़ेगा, तो अधिक विशिष्ट विवरण चाहते हैं, तो मुझे कहना होगा कि आपको वाणिज्य विभाग और भारत सरकार की अन्य संबंधित एजेंसियों से संपर्क करना होगा।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत ‘प्रतिशोधी’ टैरिफ लगाया, जिसके बाद रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर अतिरिक्त 25 प्रतिशत दंडात्मक टैरिफ थोप दिया गया। इन टैरिफ्स का असर ज्वेलरी, झींगा मछली, टेक्सटाइल और अन्य क्षेत्रों पर पड़ा है, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है।
हालांकि, सितंबर में हुई हालिया बैठकों से उम्मीदें जगी हैं। 16 सितंबर को अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के साथ सात घंटे की बैठक की। दोनों पक्षों ने चर्चा को “सकारात्मक और आगे बढ़ने वाली” बताया। वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि व्यापार सौदे के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया और पारस्परिक लाभकारी समझौते के शीघ्र निष्कर्ष के लिए प्रयास तेज करने का फैसला हुआ।
इससे पहले, 22 सितंबर को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका की यात्रा पर जाकर उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की। गोयल ने कहा कि चर्चाएं सही दिशा में बढ़ रही हैं और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वर्तमान में भारत का अमेरिका के साथ 191 अरब डॉलर का व्यापार है, जिसमें 87.4 अरब डॉलर का निर्यात और 41.8 अरब डॉलर का आयात शामिल है।
मुख्य चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाजारों में अधिक पहुंच की मांग कर रहा है, जो भारत के लिए ‘रेड लाइन’ है। इसके अलावा, रूसी तेल आयात पर दंडात्मक टैरिफ हटाने और H-1B वीजा शुल्क कम करने जैसे मुद्दे अटके हुए हैं। थिंक टैंक GTRI के अनुसार, व्यापार सौदे में सफलता तभी संभव है जब अमेरिका तेल-संबंधी 25 प्रतिशत टैरिफ हटाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि दोनों देश जल्द से जल्द चर्चा पूरी करने के लिए काम कर रहे हैं। ट्रंप ने भी कहा कि वे मोदी से “आगामी हफ्तों” में बात करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि फरवरी 2025 से शुरू हुई पांच दौर की बातचीत के बाद छठा दौर नवंबर तक हो सकता है, जिसमें अंतरिम समझौता अंतिम रूप ले सकता है।
यह समझौता न केवल टैरिफ विवाद सुलझाएगा, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। जैसे-जैसे चर्चाएं आगे बढ़ेंगी, निर्यातकों को राहत मिलने की उम्मीद है। अधिक अपडेट के लिए वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर नजर रखें।

