Jaipur/SI recruitment exam cancelled news: राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा 2021 की पुलिस सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा को रद्द करने के फैसले ने राज्य की बीजेपी सरकार में मतभेदों को और बढ़ावा दिया है। इस परीक्षा में पेपर लीक और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते कोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को इसे रद्द कर दिया। यह परीक्षा 13 से 15 सितंबर 2021 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आयोजित की गई थी, जिसमें 859 पदों के लिए 7.97 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे। लेकिन अब इस रद्दीकरण ने बीजेपी सरकार के भीतर और बाहर तीखी बहस हो रही है।
कोर्ट का फैसला और बीजेपी सरकार की दुविधा
हाईकोर्ट के जज जस्टिस समीर जैन ने अपने 202 पेज के फैसले में कहा कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं, पेपर लीक, और डमी उम्मीदवारों का उपयोग हुआ। कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के छह सदस्यों और अध्यक्ष को भी दोषी ठहराया, जिसके चलते यह पूरी भर्ती प्रक्रिया “दूषित” मानी गई। कोर्ट ने इसे रद्द करना जरूरी बताया ताकि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। एक तरफ, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस फैसले को “सत्य की जीत” करार दिया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पहले ही इस परीक्षा को रद्द करने की सलाह दी थी, लेकिन उनकी सलाह को नजरअंदाज किया गया। मीणा का कहना है कि इस भर्ती में 500 से अधिक उम्मीदवारों ने धोखाधड़ी से सफलता हासिल की थी, जिसका कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता था।
वहीं, दूसरी ओर, कानून और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने शुरू में भ्रामक बयान दिया कि कोर्ट ने परीक्षा रद्द नहीं की, बल्कि केवल “टिप्पणियां” की हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान को स्पष्ट करते हुए कहा कि कानून विभाग इस फैसले की समीक्षा करेगा और यह तय करेगा कि रद्दीकरण का आदेश राज्य सरकार या RPSC को जारी करना चाहिए। पटेल ने यह भी कहा कि कोर्ट ने बीजेपी सरकार की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, जिसमें विशेष जांच दल (SIT) का गठन और पेपर लीक में शामिल लोगों की गिरफ्तारी शामिल है।
विपक्ष का हमला और बीजेपी की रणनीति
कांग्रेस ने इस फैसले को बीजेपी सरकार के लिए “तमाचा” करार देते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने युवाओं को गुमराह किया और समय पर कार्रवाई करने में नाकाम रही। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सार्वजनिक तौर पर परीक्षा रद्द करने की बात करती थी, लेकिन कोर्ट में इसका विरोध कर रही थी।
विपक्षी नेता टीका राम जुली और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। जुली ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा युवाओं के हित में काम किया और पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून बनाए, जबकि बीजेपी ने इस मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया।
सरकार की रणनीति और भविष्य
बीजेपी सरकार ने शुरू में इस परीक्षा को रद्द न करने का फैसला लिया था, यह तर्क देते हुए कि केवल 68 उम्मीदवारों की संलिप्तता सामने आई थी, जिसमें 54 प्रशिक्षु SI, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार उम्मीदवार शामिल थे। सरकार का दावा था कि विशेष कार्य बल (SOG) दोषियों को पकड़ रहा है और वह भ्रष्ट और ईमानदार उम्मीदवारों को अलग कर सकती है।
हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में इतनी व्यापक अनियमितताएं थीं कि इसे बचाना असंभव है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि नई भर्ती में प्रभावित उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए 1,051 SI पदों की नई भर्ती की जाए।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह मामला 2023 के विधानसभा चुनावों में प्रमुख मुद्दा रहा था, जब बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर पेपर लीक को लेकर हमला बोला था। बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद SIT का गठन किया और 120 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें 54 प्रशिक्षु SI और दो पूर्व RPSC सदस्य शामिल थे।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी इस फैसले का स्वागत किया और इसे अपनी चार महीने की लंबी लड़ाई का परिणाम बताया। उन्होंने बीजेपी सरकार पर “अहंकारी” होने का आरोप लगाया और कहा कि यह फैसला युवाओं के हित में है।
निष्कर्ष
2021 SI भर्ती परीक्षा का रद्द होना राजस्थान में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है। बीजेपी सरकार के भीतर इस मुद्दे पर मतभेद और विपक्ष के तीखे हमले सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं। अब सरकार के सामने यह चुनौती है कि वह इस फैसले को कैसे लागू करती है और प्रभावित उम्मीदवारों के भविष्य को कैसे सुरक्षित करती है।

