ढाका विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव, इस्लामी छात्र शिबिर समर्थित पैनल की निर्णायक जीत, विरोधियों ने लगाए धांधली के आरोप

Dhaka University Students Union Election News: ढाका विश्वविद्यालय के केंद्रीय छात्र संघ (DUCSU) के लंबे इंतजार के बाद हुए चुनावों में जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर (इस्लामी छत्र शिबिर) समर्थित ‘ओइक्याबोध शिखरथी जोते’ पैनल ने शानदार जीत हासिल की है। छह साल के अंतराल के बाद 9 सितंबर को आयोजित इस चुनाव में शिबिर समर्थित उम्मीदवारों ने 28 पदों में से 23 पर कब्जा जमा लिया, जिसमें उपाध्यक्ष (वीपी), महासचिव (जीएस) और सहायक महासचिव (एजीएस) जैसे प्रमुख पद शामिल हैं। हालांकि, विपक्षी गुटों ने परिणामों को खारिज करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर धांधली, पक्षपात और पूर्व-चिह्नित बैलट पेपर के आरोप लगाए हैं।
चुनाव परिणामों के अनुसार, शिबिर समर्थित अबू शादिक कायेम (शादिक कायेम) को उपाध्यक्ष पद पर 14,042 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, जातीयताबादी छत्र दल (बीएनपी की छात्र इकाई) समर्थित अबिदुल इस्लाम खान को केवल 5,708 वोट प्राप्त हुए। इसी तरह, महासचिव पद पर एसएम फरहाद को 10,794 वोट हासिल हुए, जो शिबिर के ढाका यूनिट के वर्तमान अध्यक्ष हैं। सहायक महासचिव पद पर मोहिउद्दीन खान विजयी रहे। स्वतंत्र उम्मीदवार उमामा फातिमा को 3,389 वोट मिले, लेकिन उन्होंने भी परिणामों का बहिष्कार किया। कुल 39,775 पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 78% ने मतदान किया, जो स्वतंत्रता के बाद के चुनावों में सबसे अधिक टर्नआउट माना जा रहा है।

यह चुनाव 2024 के जुलाई क्रांति के बाद बांग्लादेश में छात्र राजनीति का पहला बड़ा परीक्षण था, जिसमें शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका गया था। इससे पहले 2019 के विवादास्पद चुनाव के बाद DUCSU चुनाव रुके हुए थे, जब बांग्लादेश छत्र लीग (आवामी लीग की छात्र शाखा) का दबदबा था। इस बार आवामी लीग की छात्र इकाई की अनुपस्थिति के कारण मुख्य मुकाबला शिबिर, छत्र दल, एनसीपी समर्थित पैनल, वामपंथी गठबंधन और स्वतंत्र उम्मीदवारों के बीच रहा। शिबिर ने 35 साल बाद खुले तौर पर भागीदारी की, जो 1990 के विद्रोह के बाद प्रतिबंधित थी।

विपक्षी दलों ने जीत को ‘धांधली का नतीजा’ बताते हुए कड़े विरोध जताया है। छत्र दल के अध्यक्ष रकीबुल इस्लाम ने विश्वविद्यालय के आठ द्वारों पर जमात-शिबिर कार्यकर्ताओं की मौजूदगी, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के जमात से संबंध और मतगणना में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह छात्रों का चुनाव नहीं, बल्कि जमात-बीएनपी के बीच सत्ता बंटवारा है।” उम्मीदवार अबिदुल इस्लाम खान ने परिणामों को ‘नकली’ बताते हुए कहा, “दोपहर के बाद ही हमें इस धांधली का अहसास हो गया था।” स्वतंत्र उम्मीदवार उमामा फातिमा ने फेसबुक पर लिखा, “बॉयकॉट! यह बेशर्म धांधली भरा चुनाव है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने राष्ट्र को शर्मिंदा किया है।” एक छात्र ने बताया कि उन्हें पहले से चिह्नित बैलट पेपर मिले, जहां शादिक कायेम और फरहाद के नाम पर क्रॉस लगे हुए थे।

मतगणना के दौरान टीएससी (टीचर-स्टूडेंट सेंटर) और ढाका यूनिवर्सिटी क्लब जैसे केंद्रों पर हंगामा हुआ। छत्र दल कार्यकर्ताओं ने उपाध्यक्ष उम्मीदवार अबिदुल को मतगणना कक्ष में प्रवेश न देने का विरोध किया। शिबिर समर्थित शादिक कायेम पर भी मतगणना कक्ष में घुसने का आरोप लगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पारदर्शिता का दावा किया, लेकिन देर रात तक परिणाम घोषित होने में देरी से तनाव बढ़ गया था। कुल 471 उम्मीदवारों ने 28 पदों के लिए मुकाबला किया, जिसमें 8 मतदान केंद्रों पर 810 बूथ थे।

शिबिर के विजयी उम्मीदवारों ने जीत को ‘छात्रों की एकजुटता’ का प्रतीक बताया। शादिक कायेम ने कहा, “जब देश संकट में होता है, ढाका यूनिवर्सिटी आगे आती है। हमने अपना वादा निभाया।” फरहाद ने कहा, “यह चुनाव अन्य विश्वविद्यालयों के लिए मॉडल बनेगा।” यह जीत बांग्लादेश की बदलती राजनीति का संकेत देती है, जहां जुलाई क्रांति के बाद धार्मिक-रूढ़िवादी ताकतें मजबूत हो रही हैं। हालांकि, आरोपों के बीच चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं, और विपक्ष न्यायिक जांच की मांग कर रहा है।

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