देव दीपावली क्यों मनाई जाती है? पौराणिक कथा का सार
हिंदू धर्मग्रंथों जैसे पद्म पुराण और स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, देव दीपावली का उद्गम भगवान शिव के त्रिपुरासुर वध से जुड़ा है। त्रिपुरासुर नामक शक्तिशाली राक्षस ने तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) में आतंक मचा रखा था। उसके तीन किलों (त्रिपुर) को नष्ट करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव ने अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर का संहार किया और देवताओं को भयमुक्त कर स्वर्ग का राज्य लौटाया। खुशी में देवगणों ने स्वर्गलोक में दीप जलाकर उत्सव मनाया, जिसे ‘देव दीपावली’ कहा गया। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर उतरते हैं, खासकर गंगा स्नान के लिए, और दान-पुण्य से सभी दुख दूर होते हैं। यह पर्व प्रदोष काल में मनाया जाता है, जो भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होता है।
प्रयागराज में भव्य तैयारियां: 5.30 लाख दीपों से नहाएगा संगम
प्रयागराज में देव दीपावली की तैयारियां चरम पर हैं। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सेक्टरवार दीप जलाने, पार्किंग, साइनेज, साफ-सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। संगम घाट पर 5.30 लाख दीपों की श्रृंखला बिछाई जा रही है, जबकि लाखों श्रद्धालुओं के दर्शन को आने की उम्मीद है।
सिविल डिफेंस, एनसीसी और अन्य स्वयंसेवकों की सहायता से भीड़ प्रबंधन किया जाएगा। बिजली विभाग को प्रकाश व्यवस्था, नगर निगम को मोबाइल टॉयलेट और पानी के टैंकर, तथा अग्निशमन विभाग को सुरक्षा के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लेजर शो से उत्सव को और भव्य बनाया जाएगा। जिला प्रशासन ने पार्किंग प्लान और महिला पुलिस तैनाती पर भी जोर दिया है, ताकि उत्सव सुव्यवस्थित रहे।
पूरे भारत में उत्साह की लहर: वाराणसी से अयोध्या तक रोशनी का सागर
देव दीपावली का जज्बा पूरे देश में व्याप्त है। वाराणसी में 15 लाख से अधिक दीपों से गंगा घाट जगमगाएंगे, जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित दशाश्वमेध घाट पर इंडिया गेट जैसी सजावट होगी। 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, और 2500 पुलिसकर्मियों की तैनाती से सुरक्षा चाक-चौबंद रहेगी। अयोध्या में दीपोत्सव-2025 के तहत 29 लाख दीये जलाकर राम धाम को रोशन किया गया, जहां 30 हजार स्वयंसेवकों और 2100 वेदाचार्यों ने भाग लिया। जौनपुर के चौकिया धाम में 5 नवंबर को लाखों दीपों का दीपोत्सव होगा, जिसमें बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और अभिनेता राजपाल यादव शुभारंभ करेंगे। हरिद्वार और अन्य तीर्थस्थलों पर गंगा स्नान और दीपदान का सिलसिला जारी है।
सोशल मीडिया पर भी उत्साह छाया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #DevDeepavali ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स घाटों की जगमगाती तस्वीरें साझा कर रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “देव दीपावली पर स्वयं देवता धरती पर उतरते हैं, दीप जलाकर भक्ति का आलम छा जाता है।” लोगों का कहना है कि यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक एकता का भी संदेश देता है।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त: घर-घर में रोशनी का संकल्प
आज के शुभ मुहूर्त में (शाम 5:15 से 7:50 बजे तक) गंगा स्नान, दीपदान और शिव पूजा का विशेष महत्व है। घर पर घी या तिल के तेल के दीपक जलाएं, शिव चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। आंवला वृक्ष की पूजा और दान से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सिद्धि योग में यह पर्व और भी फलदायी है।
देव दीपावली हमें सिखाती है कि अज्ञान के अंधकार को भक्ति की ज्योति से दूर किया जा सकता है। इस पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! जय गंगा माई, जय भोलेनाथ!

