योगी सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी पर भले ही काम करने का दावा करती हो, मगर कुछ ऐसे अधिकारी-कर्मचारी है जो मानते ही नही। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त एक्शन लेने वाली इस सरकार में भी भ्रष्टाचार के नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। योगी ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अब तक बड़ी कार्रवाई की है, जो अपने आप में नजीर भी बनी हुई है। बावजूद इसके प्रदूषण विभाग में एनओसी के नाम पर जमकर लेनदेन कर खुल हो रहा है।
दरअसल, भ्रष्टाचार के कई मामले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़ा है। जो वन एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत आता है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में वैसे तो सबसे उच्च पद चेयरमैन का है, मगर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जेपीएस राठौर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन थे फिर उन्हेे सरकार में मंत्री बनाने के बाद से ही वह पद खाली है।
चेयरमैन के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सबसे महत्वपूर्ण होता है सदस्य सेक्रेटरी। इस वक्त अजय कुमार शर्मा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव हैं। भ्रष्टाचार का
यह पूरा मामला अजय कुमार शर्मा से ही जुड़ा है। वन राज्यमंत्री ने अजय कुमार शर्मा की शिकायत मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर की थी
अजय कुमार शर्मा के भ्रष्टाचार को लेकर खुद विभाग के मंत्री मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। इसके अलावा, विभागीय जांच में भी अजय कुमार शर्मा को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है। इतना ही नहीं, अजय कुमार शर्मा की लोकायुक्त की भी जांच चल रही है। लेकिन इतना सब होने के बाद भी अजय कुमार अपने पद पर बने हुए हैं। मंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि अजय शर्मा आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। पत्र में साफ तौर पर लिखा था कि जब अजय शर्मा को 2021 में अतिरिक्त कार्यभार दिया गया तब भी उनके खिलाफ सीतापुर जिले में आपराधिक मामला दर्ज था। उस समय भी तथ्यों को छुपाते हुए अजय कुमार शर्मा को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सदस्य सेक्रेटरी तत्कालीन वन मंत्री दारा सिंह चैहान ने बना दिया था।
आरोप है कि अजय कुमार शर्मा मुख्य पर्यावरण अधिकारी सर्किल-7 बरेली का भी कार्यभार देख रहे हैं और आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। केपी मलिक के उस पत्र की कॉपी Social Media पर भी मौजूद है जिसमें उन्होंने अपने ही विभाग के एक अधिकारी के भ्रष्टाचार को लेकर इस तरह की बातें लिखी हैं।
केपी मलिक अपने पत्र में आगे लिखते हैं कि अजय कुमार शर्मा ने बिना सक्षम स्तर के अनुमोदन के अपने स्तर से ही एनओसी जारी कर दे रहे हैं। बोर्ड से पारित आदेशों का भी अनुपालन नहीं कर रहे हैं। और इसके एवज में इकाइयों से काफी धनराशि की वसूली की जा रही है। बताया जाता है कि सपा सरकार में भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मंे जमकर भ्रष्टाचार व्याप्त था। वैसे सभी मामलों की जांच कराई जाएंगी जिन में सरकार को शक हो कि भ्रष्टाचार हुआ होगा।