जीएसटी 2.0 के बावजूद शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी, आईटी सेक्टर पर H-1B विवाद का असर, निवेशक चिंतित

The stock market continues its downward trend: केंद्र सरकार द्वारा 22 सितंबर से लागू की गई जीएसटी दरों में व्यापक बदलावों के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। जीएसटी 2.0 के तहत कई उपभोक्ता वस्तुओं पर करों में कटौती से उपभोग बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन अमेरिका के H-1B वीजा विवाद ने आईटी सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक लाल निशान पर बंद हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताएं बाजार की रफ्तार को धीमा कर रही हैं।

जीएसटी काउंसिल की हालिया बैठक में टैक्स स्लैब को सरलीकृत करते हुए 0%, 5%, 18% और लक्जरी वस्तुओं के लिए नया 40% स्लैब लागू किया गया। इस बदलाव से टीवी, एयर कंडीशनर, छोटी कारें और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो गया, जबकि आवश्यक वस्तुओं जैसे दूध, किराना और बेसिक ग्रॉसरी पर 5% की दर बरकरार रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “उपभोक्ता-अनुकूल सुधार” बताते हुए कहा कि इससे त्योहारी मौसम में खरीदारी को बढ़ावा मिलेगा। भाजपा ने भी इसे “खुशी की लहर” करार दिया, जो ग्रॉसरी बिलों में 13% तक की कमी लाएगा।
हालांकि, बाजार ने इस उत्साह को नजरअंदाज कर दिया। 22 सितंबर को जीएसटी कटौती के ऐलान के दिन ही सेंसेक्स 57 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी 24,000 के नीचे फिसल गया। मुख्य कारण अमेरिका में H-1B वीजा नीतियों पर बढ़ता विवाद रहा, जिससे आईटी कंपनियों के शेयरों में 2-3% तक की गिरावट आई। इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसे दिग्गजों के स्टॉक 5% तक लुढ़क गए, जबकि मिडकैप आईटी नामों में और भी ज्यादा नुकसान हुआ। ईटी नाउ स्वदेश के अनुसार, “जीएसटी कटौती पर भारी पड़ा H-1B मामला, आईटी स्टॉक्स टूटने से मार्केट गिरावट के साथ बंद।” ऑटो सेक्टर में मिश्रित रिएक्शन देखा गया, जहां कुछ कंपनियां जैसे ह्युंडई मोटर इंडिया में तेजी आई, लेकिन कुल मिलाकर बाजार नकारात्मक रहा।
23 सितंबर को भी यह सिलसिला जारी रहा, जब सेंसेक्स में मामूली गिरावट दर्ज की गई। इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी के एक विश्लेषण में कहा गया कि जीएसटी 2.0 से कोयला, पावर, ऑटो, एफएमसीजी और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे सेक्टर्स को फायदा मिला, लेकिन ऑनलाइन गेमिंग और आईटी पर नया बोझ पड़ा। लाइवमिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सुधारों से अल्पकालिक अस्थिरता बढ़ सकती है, लेकिन अनुपालन मुद्दों के कारण कुछ सेक्टर्स प्रभावित होंगे। ओईसीडी ने भारत की 2025 विकास दर को
6.7% अनुमानित किया, जो घरेलू मांग और जीएसटी सुधारों पर आधारित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को धैर्य रखना चाहिए। मोटिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने पंजाब नेशनल बैंक और लार्सन एंड टूब्रो जैसे स्टॉक्स को खरीदने की सिफारिश की है, जो जीएसटी बदलावों से लाभान्वित हो सकते हैं। हालांकि, वैश्विक कारकों जैसे अमेरिकी नीतियां और मुद्रास्फीति बाजार को दबाव में रख रही हैं। बाजार पर्यवेक्षक मानते हैं कि त्योहारी सीजन से पहले रिकवरी संभव है, लेकिन आईटी सेक्टर की चिंता बनी हुई है।
यह गिरावट निवेशकों के लिए सबक है कि घरेलू सुधारों का फायदा वैश्विक घटनाओं से प्रभावित हो सकता है। बाजार की नजर अब अगले हफ्ते के ट्रेडिंग सेशन पर है, जहां जीएसटी के वास्तविक प्रभाव का पता चलेगा।
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