केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक के मांड्या में मेगा डेयरी का उद्घाटन किया। इस मौके पर शाह ने कहा कि मांड्या मेगा डेयरी के उद्घाटन मंच से वे देश भर के सहकारी कार्यकतार्ओं को बताना चाहते हैं कि भारत सरकार का फैसला है कि सहकारी समितियों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।
श्री आदिचुंचनगिरि महा संस्थान मठ, मांड्या के 72वें पुजारी निर्मलानंदनाथ महास्वामीजी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई एवं पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा और केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भी उद्घाटन के दौरान वहां उपस्थित रहे ।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार 260 करोड़ रुपये की लागत से आज उद्घाटन की गई मेगा डेयरी में प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण होगा। इसकी क्षमता प्रतिदिन 14 लाख लीटर तक बढ़ाने की है। यह लाखों किसानों की खुशी सुनिश्चित करेगा।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से ही देश के किसानों ने कृषि मंत्रालय से अलग सहकारिता मंत्रालय की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अलग सहकारिता मंत्रालय बनाकर किसानों के विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 15,210 ग्राम-स्तरीय सहकारी डेयरियां हैं, जिनमें लगभग 26.22 लाख किसान प्रतिदिन 16 जिला स्तरीय डेयरियों के माध्यम से अपना दूध पहुंचाते हैं और प्रतिदिन 26 लाख किसानों के खातों में 28 करोड़ रुपये जाते हैं।
अमित शाह ने कहा कि 1975 में कर्नाटक में लगभग 66,000 किलो दूध प्रतिदिन संसाधित किया जाता था, जबकि आज 82 लाख किलो से अधिक दूध प्रतिदिन संसाधित किया जाता है और कुल कारोबार का 80 प्रतिशत किसान के पास जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और सहकारिता मंत्रालय अगले तीन वर्षों में देश की प्रत्येक पंचायत में प्राथमिक डेयरी की स्थापना करेगा और इस संबंध में पूरी कार्य योजना तैयार कर ली गई है। योजना के तहत तीन साल में देश भर में ग्रामीण स्तर पर दो लाख प्राथमिक डेयरियों की स्थापना की जाएगी। देश के किसानों को श्वेत क्रांति से जोड़कर भारत दुग्ध क्षेत्र में बड़ा निर्यातक बनकर उभरेगा।
बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार दूध उत्पादक किसानों के खातों में सालाना 1250 करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए ट्रांसफर कर रही है। क्षीर भाग्य योजना के माध्यम से बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए 51 हजार सरकारी स्कूलों में 65 लाख बच्चों और 64 हजार आंगनबाड़ियों में 39 लाख बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जा रहा है।