Delhi Police ‘Ghazwa-e-Hind’ News: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सेंट्रल एजेंसियों के साथ मिलकर एक बड़े आतंकी हमले की साजिश को नाकाम कर दिया है। ISIS से प्रेरित एक टेरर मॉड्यूल को भंडाफोड़ करते हुए 5 राज्यों से 5 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। ये आतंकी ‘गजवा-ए-हिंद’ के नाम पर भारत में इस्लामिक खिलाफत स्थापित करने और लक्षित हत्याओं की योजना बना रहे थे। पुलिस के मुताबिक, ये लोग पाकिस्तान स्थित हैंडलर से निर्देश ले रहे थे और IED तथा केमिकल बम बनाने की तैयारी कर रहे थे।
गिरफ्तार आतंकियों की डिटेल्स और उनकी भूमिका
गिरफ्तार किए गए पांचों संदिग्धों की उम्र 20 से 26 साल के बीच है। इनमें से मुख्य सरगना अशहर दानिश (23 वर्ष, बोकारो, झारखंड) है, जो खुद को ‘सीईओ’ और ‘प्रोफेसर’ कहता था। दानिश IED बनाने में माहिर था और पाकिस्तान हैंडलर से सीधे संपर्क में था। वह रांची में गिरफ्तार हुआ, जहां से IED बनाने का सामान बरामद हुआ।
अन्य गिरफ्तार आतंकी:
• आफताब कुरैशी (25 वर्ष, कल्याण, महाराष्ट्र): युवाओं की भर्ती और रेडिकलाइजेशन में शामिल। हथियारों की खरीद-फरोख्त में सक्रिय।
• सुफियान अबूबकर खान (20 वर्ष, मुंब्रा, महाराष्ट्र): हथियार और विस्फोटक सामग्री ट्रांसपोर्ट करने का जिम्मा। हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से आफताब के साथ गिरफ्तार।
• मोहम्मद हुजैफा यमन (20 वर्ष, निजामाबाद, तेलंगाना): फार्मेसी का छात्र, हथियार और बारूद बनाने में दानिश की मदद करता था।
• कामरान कुरैशी उर्फ समर खान (26 वर्ष, राजगढ़, मध्य प्रदेश): फंडिंग का प्रबंधन।
ये सभी सिग्नल और टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए संपर्क में थे। मॉड्यूल में करीब 40 सदस्य थे, लेकिन मुख्य गतिविधियों की जानकारी सिर्फ इन पांच को थी। दानिश ने ‘प्रोजेक्ट मुस्तफा’ नाम से एक सोशल मीडिया ग्रुप बनाया था, जहां जिहादी सामग्री शेयर की जाती थी।
साजिश का खुलासा
पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये आतंकी भारत में ‘खिलाफत’ स्थापित करने की योजना बना रहे थे। उनका पहला कदम एक एनजीओ के नाम पर जमीन खरीदकर ‘अल शाम’ नाम से ‘मुक्त क्षेत्र’ घोषित करना था। दूसरा चरण ‘गजवा-ए-हिंद’ स्टाइल का जिहाद था, जिसमें दक्षिणपंथी नेताओं की लक्षित हत्याएं, IED धमाके और फिदायीन हमले शामिल थे। कम से कम दो सदस्य फिदायीन बनने को तैयार थे। झारखंड में एक गुप्त ट्रेनिंग कैंप बनाने की भी कोशिश की गई थी।
पाकिस्तान स्थित हैंडलर, जो ISI का एजेंट होने का शक है, इनको बम बनाने और सामग्री जुटाने के निर्देश दे रहा था। फंडिंग हवाला के जरिए हो रही थी। अगर समय पर ये मॉड्यूल न पकड़ा जाता, तो देशभर में बड़े हमले हो सकते थे।
क्या-क्या बरामद हुआ?
छापेमारी में दिल्ली, रांची, थाणे, बेंगलुरु, निजामाबाद और राजगढ़ से भारी मात्रा में सामग्री जब्त की गई:
• 2 सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल और 15 जिंदा कारतूस।
• 1 देशी पिस्टल और 1 एयर गन।
• केमिकल्स जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, सोडियम बाइकार्बोनेट, सल्फर पाउडर।
• अन्य सामान: कॉपर शीट्स, स्टील पाइप्स, बीकर सेट, बैलेंस मशीन, मास्क, ग्लव्स, सर्किट बोर्ड, लैपटॉप, मोबाइल फोन और योजनाओं के ड्रॉइंग्स।
दानिश के कमरे से सल्फर, नाइट्रिक एसिड, कॉपर प्लेट्स, सर्किट्स, पिस्टल और कारतूस मिले। एक IED टेस्टिंग के दौरान ब्लास्ट से दानिश घायल भी हुआ था।
कैसे नाकाम हुई साजिश?
पुलिस ने करीब छह महीने तक इनकी डिजिटल गतिविधियों और मूवमेंट पर नजर रखी। मंगलवार को हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर आफताब और सुफियान को हथियारों के साथ पकड़ा गया, जिसके बाद अन्य जगहों पर छापे मारे गए। स्पेशल सेल के एडिशनल कमिश्नर प्रमोद सिंह कुशवाहा ने कहा, “यह एक घरेलू आतंकी ऑपरेशन था। आरोपी हथियार जुटाने और विस्फोटक तैयार करने के निर्देश पर काम कर रहे थे।”
ये गिरफ्तारियां देश की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता का प्रमाण हैं। जांच जारी है और अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
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