Delhi News: नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को देश के युवाओं में डिजिटल जुनून पर चिंता व्यक्त की और कहा कि तेजी से आगे बढ़ती डिजिटल दुनिया युवाओं को वास्तविक खेल के मैदानों से दूर डिजिटल खेल के मैदानों की ओर धकेल रही है। धनखड़ त्यागराज स्टेडियम में स्पेशल ओलंपिक एशिया पैसिफिक बोक्से और बॉलिंग प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन खेलों के माध्यम से हम एशिया प्रशांत क्षेत्र में विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के लिए समावेश और सम्मान का जश्न मना रहे हैं। यह भारत के सांस्कृतिक लोकाचार को दर्शाता है। स्पेशल ओलंपिक सार्वभौमिक समावेश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।
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धनखड़ ने कहा कि आज की तेज़ गति वाली डिजिटल दुनिया में हमारे युवा और बच्चे तेजी से छोटी प्लास्टिक स्क्रीन- मोबाइल के आदी होते जा रहे हैं। उन्हें असली खेल के मैदानों से दूर डिजिटल खेल के मैदानों में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैं विशेष रूप से प्रत्येक माता-पिता से यह सुनिश्चित करने के लिए कहूंगा कि इस छोटी प्लास्टिक स्क्रीन के कारण बच्चे असली खेल के मैदानों से वंचित न हों। आइए हम सुनिश्चित करें कि यह डिजिटल जुनून बच्चों, उस पीढ़ी को असली खेल के मैदान के रोमांच, भावना और ज्ञान से वंचित न करे।”
दिव्यांग खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने कहा कि आप न केवल मैदान पर बल्कि जीवन के खेल में भी चैंपियन हैं, जहां आप उन चुनौतियों के खिलाफ जीत हासिल करते हैं, जिनकी हममें से कई लोग केवल कल्पना ही कर सकते हैं।
देश में खेलों के प्रति धारणा में आये बदलाव का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि खेल को अब केवल एक अतिरिक्त गतिविधि के रूप में नहीं देखा जाता है। यह शिक्षा और जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, यह चरित्र निर्माण, एकता को बढ़ावा देने और हमें राष्ट्रीय गौरव से भरने का एक साधन है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में दिव्यांगजनों की ऊर्जा और क्षमता को उजागर करने तथा उनकी आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।