Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को फरवरी, 2020 में दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस दौरान दिल्ली पुलिस से पूछा कि केवल धरना का आयोजन करना किसी के खिलाफ यूएपीए लगाने के लिए कितना पर्याप्त है। कोर्ट जमानत याचिकाओं पर कल यानि 9 जनवरी को भी सुनवाई जारी रखेगा।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि आरोपी एक कानून का विरोध कर रहे थे और उन्होंने समझा कि चक्का जाम भी विरोध करने का एक वैध तरीका है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या चक्का जाम करना यूएपीए लगाने के लिए पर्याप्त वजह है। दरअसल, सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अमित प्रसाद ने व्हाट्सऐप ग्रुप पर हुए चैट का जिक्र किया। अमित प्रसाद ने कहा कि व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिये हिंसा को उकसाने की कार्रवाई की गई। उसके बाद कोर्ट ने पूछा कि अगर आप उनकी बातचीत पर भरोसा कर रहे हैं तो आपने व्हाट्स ऐप ग्रुप के दो लोगों को कैसे छोड़ दिया। सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने विरोध प्रदर्शनों के वीडियो दिखाए। तब कोर्ट ने कहा कि ये सब कुछ हुआ। ये हम जानते हैं, लेकिन आप ये बताइए कि इससे व्हाट्स ऐप चैट का क्या रिश्ता है। अमित प्रसाद ने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन स्वत: स्फूर्त नहीं था, बल्कि उसकी योजना बनाई गई थी। अमित प्रसाद ने कहा कि ये आंदोलन स्वत: स्फूर्त कैसे हो सकता है, क्योंकि उस आंदोलन को स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं था। दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे।