Delhi News: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गोरखपुर में कथित तौर पर पुलिस की ओर से कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की पीटकर हत्या करने के आरोपित जगत नारायण सिंह को जेल से कोर्ट ले आने के लिए अलग वाहन उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। स्पेशल जज अतुल कृष्ण अग्रवाल ने ये आदेश दिया।
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कोर्ट ने डीएपी की तीसरी बटालियन के डीसीपी की रिपोर्ट पर गौर करते हुए पाया कि जगत नारायण सिंह को जेल से कोर्ट लाते समय किसी कैदी ने प्रताड़ित नहीं किया गया। इसके अलावा जगत नारायण सिंह को जेल में भी प्रताड़ित करने की कोई शिकायत नहीं है। डीएपी की रिपोर्ट के मुताबिक जगत नारायण सिंह को कोर्ट लाते समय एसएजी की विशेष सुविधा दी गई है। डीएपी ने कहा कि फिलहाल कैदी को अलग से वाहन उपलब्ध कराने के लिए न तो वाहन उपलब्ध है और न ही मैनपावर। कोर्ट ने रोहिणी जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे जगत नारायण सिंह की सहमति से चाहें तो मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश करा सकते हैं।
इससे पहले 16 जनवरी को कोर्ट ने सीबीआई को पूरक चार्जशीट की प्रति आरोपितों को उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान आरोपितों की ओर से पेश वकील नवलेंदु कुमार ने कहा था कि सीबीआई ने जो पूरक चार्जशीट दाखिल की है, उसकी प्रति उन्हें नहीं मिली है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये भी बताया गया कि हाई कोर्ट में मनीष गुप्ता की पत्नी की ओर से दाखिल याचिका अभी लंबित है और हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट में सुनवाई की अगली तिथि 12 मार्च है।
कोर्ट ने 9 जनवरी, 2023 को मामले के छह आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 34 के तहत आरोप तय किए थे। ट्रायल कोर्ट ने हत्या की धारा 302 के तहत केवल आरोपित और थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह के खिलाफ ही आरोप तय किया था। 4 अप्रैल, 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई से अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने को कहा था। 11 मार्च, 2022 को कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया था।
कानपुर के रहने वाले कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर, 2021 की सुबह आठ बजे गोरखपुर अपने दो दोस्तों हरवीर और प्रदीप के साथ घूमने गए थे। तीनों युवक गोरखपुर के रामगढ़ताल में एक होटल में ठहरे थे। 27 सितंबर 2021 की आधी रात छह पुलिसवाले होटल में चेकिंग करने पहुंच गए थे। कमरे की तलाशी लेने पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया। आरोप है कि पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष सहित छह पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए थे।
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