बचपन की जिद: क्रिकेट के मैदान पर पहला कदम
आगरा के अवधपुरी कॉलोनी में 24 अगस्त 1997 को जन्मी दीप्ति शर्मा का परिवार साधारण था। पिता भगवान शर्मा रेलवे में चीफ बुकिंग सुपरवाइजर थे, जबकि मां सुशीला एक स्कूल प्रिंसिपल। भाई-बहनों में सबसे छोटी दीप्ति को बचपन से ही क्रिकेट का शौक चढ़ गया। लेकिन यह शौक आसान नहीं था। नौ साल की उम्र में वे अपने बड़े भाई सुमित शर्मा के पीछे-पीछे मैदान भागतीं। सुमित खुद क्रिकेटर थे और स्थानीय स्तर पर खेलते थे। दीप्ति मां के विरोध के बावजूद घर से चुपके-चुपके निकल जातीं, ताकि भाई के अभ्यास को देख सकें।
एक दिन एककलव्य स्टेडियम में सुमित के नेट प्रैक्टिस के दौरान एक गेंद दीप्ति की ओर आ गई। उन्होंने उसे 50 मीटर दूर से फेंका और सीधा स्टंप्स पर लगा दिया। यह तूफान था! वहां मौजूद पूर्व भारतीय क्रिकेटर और बीसीसीआई महिला चयन समिति की चेयरपर्सन हेमलता काला ने दीप्ति को देख लिया।
हेमलता ने कहा, “यह लड़की निश्चित रूप से भारत के लिए खेलेगी।” बस, यहीं से दीप्ति का सफर शुरू हुआ। लेकिन घर लौटकर मां ने डांटा, “लड़की हो, क्रिकेट क्या खेलोगी?” पड़ोसी और रिश्तेदार ताने मारते: “इसे कहां भेज रही हो? घर का काम सिखाओ।” परिवार ने इन तानों को हंसी में उड़ा दिया, लेकिन अंदर ही अंदर दर्द था।
भाई सुमित का त्याग: सपनों का बलिदान
दीप्ति की असली कहानी उनके भाई सुमित से जुड़ी है। सुमित खुद देश के लिए खेलने का सपना देखते थे। लेकिन जब दीप्ति को सही ट्रेनिंग की जरूरत पड़ी, तो सुमित ने अपनी नौकरी छोड़ दी। दो साल तक वे दीप्ति के कोच बने रहे। घर के पास ही एक क्रिकेट ग्राउंड बनवाया, जहां दीप्ति सुबह-शाम प्रैक्टिस करतीं। सुमित कहते हैं, “मैंने अपना सपना उसके लिए कुर्बान कर दिया। वह मेरी बहन नहीं, मेरी जिंदगी है।” आज अवधपुरी कॉलोनी का मुख्य द्वार ही “अर्जुन अवॉर्डी क्रिकेटर दीप्ति शर्मा मार्ग” नाम से जाना जाता है। पहले जहां लोग ताने मारते थे, अब वही लोग दीप्ति के आने का इंतजार करते हैं। यह भाई का त्याग ही था जिसने दीप्ति को मजबूत बनाया।
हनुमान जी की शरण: हर बाधा पर विजय
दीप्ति की जिंदगी में भगवान हनुमान हमेशा साथ रहे। वे हर मंगलवार को व्रत रखती हैं और सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं। एक इंटरव्यू में दीप्ति ने कहा, “हनुमान जी मेरी ताकत हैं। हर मैच से पहले चालीसा पढ़ती हूं, जो मुझे शक्ति देती है।” बचपन से ही वे हनुमान मंदिर जातीं, और कठिन समय में उनकी भक्ति ने सहारा दिया। 2017 विश्व कप फाइनल में हार का दर्द, 2023 टी20 विश्व कप सेमीफाइनल की निराशा—इन सबमें हनुमान जी की कृपा से वे लौटीं। इस विश्व कप में भी, फाइनल से पहले उन्होंने चालीसा पढ़ा। नतीजा? 58 रन की पारी और 5/39 के आंकड़े। दीप्ति कहती हैं, “भगवान हनुमान ने हर बाधा दूर की। वे मेरे संकटमोचन हैं।”
विश्व कप 2025: जादू की शाम
फाइनल में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298/7 का मजबूत स्कोर बनाया। शाफाली वर्मा की 87 रनों की विस्फोटक पारी के बाद दीप्ति ने 58* (58 गेंदों पर) रन बनाकर मध्यक्रम को संभाला। फिर गेंदबाजी में उन्होंने जादू बिखेरा—5 विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका को 246 पर समेट दिया। यह प्रदर्शन इतना शानदार था कि दीप्ति को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। उन्होंने टूर्नामेंट में 200 रन और 20 विकेट लिए, जो विश्व कप इतिहास में अनोखा रिकॉर्ड है। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, “दीप्ति हमारी रीढ़ हैं। उनका बल्ला और गेंद दोनों जादुई हैं।”
आज की दीप्ति: डीएसपी से सुपरस्टार
सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, दीप्ति उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) भी हैं। जनवरी 2025 में उन्हें यह पद मिला। वे कहती हैं, “क्रिकेट ने मुझे पहचान दी, लेकिन सेवा का सपना भी था।” शादी नहीं की, निजी जिंदगी को गोपनीय रखती हैं। लेकिन उनकी कहानी लाखों लड़कियों को प्रेरित कर रही है—कि संघर्ष से सपने साकार होते हैं।
दीप्ति शर्मा सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, एक प्रेरणा हैं। उनके भाई के त्याग, परिवार के धैर्य और हनुमान जी की भक्ति ने उन्हें यहां पहुंचाया। आज जब ताजमहल की नगरी की बेटी विश्व कप ट्रॉफी थामे है, तो पूरा देश गर्व से कह रहा है—जय हनुमान! जय भारत!

