प्रेमा थोंगडोक, जो वेस्ट कामेंग जिले के रूपा, टेंगा वैली की रहने वाली हैं, लंदन से जापान जा रही थीं। 21 नवंबर को तीन घंटे के ट्रांजिट के दौरान चीनी अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट जांचा और उन्हें कतार से अलग कर लिया। प्रेमा ने एएनआई को बताया, “अधिकारियों ने कहा, ‘अरुणाचल भारत का हिस्सा नहीं, यह चीन में है। आपका वीजा स्वीकार्य नहीं, पासपोर्ट अमान्य है।’ उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया और कहा कि मुझे चीनी पासपोर्ट के लिए आवेदन करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें खाना, आराम या परिवार से संपर्क करने की सुविधा नहीं दी गई। “मैंने 10 से ज्यादा अधिकारियों से बात की, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।” आखिरकार, भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप से वे जापान पहुंच सकीं।
प्रेमा ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि यह किसी सामान्य नागरिक के साथ नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे 14 साल से ब्रिटेन में रह रही हैं और 58 देशों की यात्रा कर चुकी हैं, हमेशा भारतीय पासपोर्ट से। “पहले भी शंघाई से ट्रांजिट गुजरी हूं, कभी समस्या नहीं हुई।”
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोशल मीडिया पर प्रेमा का बयान शेयर करते हुए इसे “अस्वीकार्य” बताया। उन्होंने लिखा, “वैध भारतीय पासपोर्ट के बावजूद उन्हें अपमानित किया गया। अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन है।” MEA ने कहा, “यह घटना शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशनों का उल्लंघन है। चीनी अधिकारियों ने अभी तक अपनी हरकतों की व्याख्या नहीं की। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है।” भारत ने 21 नवंबर को ही बीजिंग, दिल्ली और शंघाई में विरोध दर्ज कराया। शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने प्रेमा की तत्काल मदद की।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पार्टी ने इसे “भारत का अपमान” बताते हुए कहा कि सरकार की “नरम नीति” के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
चीन का इनकार और दावा
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जांगनान (अरुणाचल) चीन का इलाका है। हमने कभी भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित ‘अरुणाचल प्रदेश’ को मान्यता नहीं दी।” उन्होंने प्रेमा के दावों को खारिज करते हुए कहा कि जांच “निष्पक्ष और गैर-अपमानजनक” थी। “कोई हिरासत या उत्पीड़न नहीं हुआ। एयरलाइन ने आराम और भोजन उपलब्ध कराया।” चीनी दूतावास ने X पर पोस्ट कर दोहराया कि सीमा जांच नियमों के अनुसार हुई।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
X (पूर्व ट्विटर) पर #PremaThongdok और #ArunachalPradesh ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स ने इसे “राजनीतिक उत्पीड़न” बताया। BOOM Live ने लिखा, “यह घटना ऑनलाइन आक्रोश का कारण बनी है।” WION ने वीडियो शेयर कर MEA के बयान को हाइलाइट किया, जबकि इतिहासकार संदीप मुखर्जी ने 1962 युद्ध का जिक्र करते हुए क्षेत्रीय महत्व पर जोर दिया। एक यूजर ने लिखा, “यह सीमा पर भेदभाव का उदाहरण है, जो मानवीय नहीं बल्कि राजनीतिक है।”
अरुणाचल विवाद का बैकग्राउंड
चीन अरुणाचल को “दक्षिण तिब्बत” मानता है और मैकमोहन रेखा को अस्वीकार करता है। भारत इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। 3,500 किमी लंबी सीमा पर विवाद 1962 युद्ध से चला आ रहा है। हाल में 2020 गलवान झड़प और 2022 तवांग टकराव ने तनाव बढ़ाया। भारत एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, जबकि चीन निर्माण कार्य कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मानचित्रों में अरुणाचल को भारत का हिस्सा माना जाता है।
यह घटना भारत-चीन संबंधों में नई दरार डाल सकती है। MEA ने कहा है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाएगा। प्रेमा की कहानी न केवल व्यक्तिगत अपमान की है, बल्कि सीमा विवाद की जटिलताओं को उजागर करती है।

