ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अभी भी बढ़ रहा है और वर्तमान गति से 2030 तक 2019 के स्तर से 43 प्रतिशत कमी का लक्ष्य हासिल करना असंभव लगता है। विकासशील देशों का कहना है कि विकसित देशों से पर्याप्त जलवायु वित्त और तकनीक का अभाव है, जबकि अमेरिका ने फिर से पेरिस समझौते से किनारा कर लिया है।
यह सम्मेलन न केवल वैश्विक जलवायु को बचाने का प्रयास है, बल्कि इस संयुक्त राष्ट्र प्रक्रिया की विश्वसनीयता बहाल करने का भी। पूर्व भारतीय प्रमुख वार्ताकार रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “प्रक्रिया से निराशा है, खासकर अमेरिका जैसे विकसित देशों के प्रयासों की कमी के कारण। लेकिन यह सबसे अच्छा मंच है।
इसे छोड़ना जलवायु के लिए और बुरा होगा।” उन्होंने जोर दिया कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 21वीं सदी के अंत तक 2 डिग्री सेल्सियस, आदर्श रूप से 1.5 डिग्री तक सीमित रखना अभी भी संभव है।
ब्राजील की मेजबानी: कार्यान्वयन पर फोकस
ब्राजील, जो COP30 की अध्यक्षता कर रहा है, का मुख्य लक्ष्य देशों के बीच विश्वास मजबूत करना है। COP30 अध्यक्ष आंद्रे कॉर्रेया डो लागो ने कहा कि ये बैठकें बातचीत में तो अच्छी हैं, लेकिन कार्यान्वयन में कमजोर। ब्राजील पुराने वादों को पूरा करने पर जोर देगा, न कि नए वादे बनाने पर। COP30 की सीईओ आना टोनी के अनुसार, 2015 के पेरिस समझौते के बाद से 600 से अधिक जलवायु पहलों की घोषणा हुई, लेकिन सिर्फ 300 ही जीवित हैं। ब्राजील इनकी निगरानी के लिए पारदर्शी ढांचा बनाने की कोशिश कर रहा है।
सम्मेलन में कोई बड़ा नया समझौता नहीं होगा। चर्चा मुख्य रूप से बहुपक्षीयता मजबूत करने, कार्यान्वयन को प्रभावी बनाने और अनुकूलन (एडाप्टेशन) पर केंद्रित रहेगी। विकासशील देशों के लिए अनुकूलन महत्वपूर्ण है, और बेलेम में ‘ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन’ पर संकेतकों को परिभाषित करने की उम्मीद है, जो कमजोर समुदायों, पारिस्थितिक तंत्रों और जैव विविधता की लचीलापन मापेगा।
नई चुनौतियां और वैश्विक संदर्भ
2025 वैश्विक तापमान के लिहाज से दूसरा या तीसरा सबसे गर्म वर्ष बन सकता है। विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, चरम मौसम घटनाएं बढ़ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि 1.5 डिग्री लक्ष्य को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई जरूरी है। ब्राजील ने ‘ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी’ (टीएफएफएफ) लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो उष्णकटिबंधीय जंगलों के संरक्षण के लिए 125 अरब डॉलर जुटाएगा। नॉर्वे, इंडोनेशिया और पुर्तगाल जैसे देशों ने इसमें योगदान दिया है।
हालांकि, अमेरिका के तहत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने जलवायु कूटनीति कार्यालय बंद कर दिया है और कोई प्रतिनिधि नहीं भेज रहा। यूरोपीय संघ ने 2035 के लिए अपडेटेड एनडीसी (राष्ट्रीय निर्धारित योगदान) जमा किया है, जो 1.5 डिग्री लक्ष्य को मजबूत करता है। अफ्रीकी विकास बैंक अफ्रीकी देशों के लिए जलवायु वित्त सुधार पर जोर देगा। एशियाई विकास बैंक ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा खतरे में है।
आदिवासी नेता एंडीज से अमेजन तक यात्रा कर बेलेम पहुंचे हैं, जहां वे जलवायु प्रभावों पर अपनी मांगें रखेंगे। रियो की फेवेला (झुग्गी) निवासियों ने सस्टेनेबल फेवेला फेस्टिवल के जरिए वैश्विक चर्चा में अपनी आवाज बुलंद की है।
भारत का नजरिया
भारत के लिए COP30 महत्वपूर्ण है। देश ने अभी तक 2035 के लिए एनडीसी (जलवायु कार्रवाई योजना) घोषित नहीं किया है, जो पेरिस समझौते के तहत अनिवार्य है। पहला राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) अंतिम रूप ले चुका है और जल्द जारी हो सकता है। सम्मेलन का उपयोग इनकी घोषणा के लिए किया जा सकता है। भारत विकासशील देशों के साथ मिलकर विकसित देशों से वित्त और तकनीक की मांग करेगा।
सुधारों की मांग
COP30 में प्रक्रिया सुधार पर भी बहस होगी। कुछ सुझाव कट्टर हैं, जैसे सर्वसम्मति के बजाय बहुमत से निर्णय। ब्राजील ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से जुड़े ‘क्लाइमेट चेंज काउंसिल’ की स्थापना का प्रस्ताव दिया है, जो निर्णयों की निगरानी करेगा। हालांकि, ये सुधार सर्वसम्मति से ही पास होंगे, जो चुनौतीपूर्ण है।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा, “सुंदर भाषणों का दौर समाप्त। COP30 कार्रवाई का होगा।” सम्मेलन 21 नवंबर तक चलेगा, जहां दुनिया को साबित करना होगा कि जलवायु संकट से निपटने की इच्छाशक्ति अभी बाकी है।

