कनाडा से बढा विवादः अपने नागरिकों का जम्मू-कश्मीर और मणीपुर न जाने की दी सलाह
भारत और कनाडा के बीच डिप्लोमैटिक विवाद कम होता नजर नही आ रहा है। कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप वहां के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर लगाते हुए हमारे एक डिप्लोमैट को निकाल दिया। जवाब में भारत ने भी कनाडा के एक डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया। इसके बाद मंगलवार रात दो ऐसी बड़ी बातें सामने आई जिससे विवाद सुलझेगा नही बल्कि बढेगा। पहली- न्यूज एजेंसी ने कनाडा सरकार के हवाले से खबर दी। इसमें कहा गया कि कनाडा ने जम्मू और कश्मीर में सिक्योरिटी की हालात को देखते हुए अपने नागरिकों से वहां न जाने को कहा है। वहां आंतकवाद और किडनैपिंग का खतरा है। इसके अलावा असम और मणिपुर में भी न जाने की सलाह दी गई है। वही, दूसरी- कनाडा के सबसे बड़े अखबार ‘टोरंटो स्टार’ ने ट्रूडो का बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि कनाडा की सरकार भारत के साथ तनाव नहीं बढ़ाना चाहती, लेकिन भारत को इन मुद्दों को गंभीरता से लेना होगा।
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भारत के टकराव के मुद्दे पर कैनेडियन अपोजिशन प्रधानमंत्री ट्रूडो से दूरी बनाता नजर आ रहा है। यहां के अपोजिशन लीडर पियरे पोएलिविर ने सोशल मीडिया पर कहा- हमारे प्रधानमंत्री को साफ और सीधी बात करनी चाहिए। अगर उनके पास सबूत हैं तो वो जनता के सामने रखें। ऐसा होगा तभी तो लोग फैसला ले सकेंगे कि कौन सही और कौन गलत। हैरात करने वाली की बात यह है कि ट्रूडो कोई फैक्ट्स सामने नहीं रख रहे। उनकी तरफ से सिर्फ बयान सामने आ रहे हैं, ये तो कोई भी कर सकता है।
ट्रूडो नए बयान में कहा- तनाव को बढ़ाना नहीं चाहते
टोरंटो स्टार की खबर के मुताबिक- मंगलवार रात कैनेडियन प्रधानमंत्री का रुख कुछ नर्म दिखा। उन्होंने कहा- हम इस तनाव को बढ़ाना नहीं चाहते। हमने कुछ फैक्ट्स सामने रखे हैं। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ काम करें ताकि हर चीज क्लीयर हो सके।
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भारत बोला- कनाडा के आरोप बिलकुल बेतुके
भारत ने कनाडा की तरफ से लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा- कनाडा के सभी आरोप बैबुनियाद और बेतुके हैं। इसी तरह के आरोप कनाडाई प्रधानमंत्री ने हमारे च्ड मोदी के सामने भी रखे थे और उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था। इस तरह के निराधार आरोप खालिस्तानी चरमपंथियों से ध्यान हटाने की कोशिश है। इन्हें कनाडा में पनाह दी गई है और ये भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा हैं।