फिल्म ‘120 बहादुर’ 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई पर आधारित है, जिसमें चार्ली कंपनी के 120 सैनिकों ने 3,000 से अधिक चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था। इनमें से 114 सैनिक शहीद हो गए, जिनमें अधिकांश हरियाणा के रेवाड़ी और आसपास के इलाकों से आए अहीर (यादव) समुदाय के थे। मेजर शैतान सिंह, जो परम वीर चक्र (PVC) से सम्मानित थे, इस कंपनी के कमांडर थे। फिल्म में फरहान अख्तर मेजर शैतान सिंह की भूमिका निभा रहे हैं, जबकि राशी खन्ना उनकी पत्नी शगुन कंवर का किरदार कर रही हैं। यह फिल्म एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैपी स्टूडियोज के बैनर पर बनी है।
याचिका अहीर समुदाय के सदस्यों ने दायर की थी, जिन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म का टाइटल “120 बहादुर” अहीर सैनिकों के सामूहिक बलिदान को कमतर आंकता है और केवल मेजर शैतान सिंह को ही मुख्य नायक के रूप में चित्रित करता है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ रही है, क्योंकि कंपनी में 113 अहीर सैनिक थे और यह लड़ाई “सामूहिक वीरता का प्रतीक” है। उन्होंने फिल्म का नाम “120 वीर अहीर” करने, सर्टिफिकेशन रद्द करने और मृत सैनिकों के सम्मान में भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के तहत कार्रवाई की मांग की। याचिका में कहा गया कि यह “सार्वजनिक स्मृति को अपूरणीय क्षति” पहुंचा सकती है।
हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, “नाम को लेकर इतनी संवेदनशीलता क्यों?” जस्टिस ने याचिका को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए खारिज कर दिया, लेकिन सीबीएफसी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन) को कानून-व्यवस्था के प्रभाव को ध्यान में रखने की सलाह दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है और इसकी सामग्री की जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
यह विवाद नया नहीं है। अक्टूबर 2025 में गुड़गांव के खेरकी दौला टोल प्लाजा पर सैकड़ों अहीर समुदाय के सदस्यों ने हाईवे जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि नाम न बदला गया तो हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में फिल्म की रिलीज रोकी जाएगी। संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के नेता एडवोकेट सुबे सिंह यादव ने कहा, “फिल्म का नाम ‘120 वीर अहीर’ होना चाहिए, वरना हम मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से राज्य में बैन की मांग करेंगे।” नवंबर में भी एक पंचायत में बॉयकॉट का ऐलान किया गया, जिसमें फरहान अख्तर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की धमकी दी गई।
समुदाय के नेताओं का कहना है कि यह लड़ाई अहीर वीरता का प्रतीक है और टाइटल में “अहीर” शब्द जोड़ना जरूरी है ताकि शहीदों की पहचान बनी रहे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “ये 120 बहादुर सिर्फ नाम नहीं, हमारे पूर्वजों का बलिदान हैं। फिल्म हमें भुला रही है।” दूसरी ओर, फिल्म निर्माताओं ने अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन ट्रेलर रिलीज के बाद विवाद और तेज हो गया है।
यह मामला सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सिनेमा की स्वतंत्रता के बीच संतुलन का उदाहरण है। पहले भी ‘आदिपुरुष’ और ‘2020-दिल्ली’ जैसी फिल्मों पर धार्मिक या सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगे हैं, जहां कोर्ट ने सीबीएफसी को सतर्क रहने को कहा। ‘120 बहादुर’ की रिलीज तिथि अभी तय नहीं है, लेकिन यह विवाद फिल्म को राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना चुका है। क्या यह ऐतिहासिक गौरव को संरक्षित करने की मांग है या अनावश्यक संवेदनशीलता? समय ही बताएगा।

