कर्नल सोफिया कुरैशी ने युवाओं को किया प्रेरित: कहा “बहादुरी का कोई लिंग नहीं होता…”

Colonel Sophia Qureshi/Chanakya Defence Dialogue News: भारतीय सेना के ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम’ में कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रेरक वाणी ने युवाओं के दिलों में देशभक्ति की लौ जला दी। “बहादुरी का कोई लिंग नहीं होता…” यह उनका यह कथन न केवल ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का प्रतीक बना, बल्कि युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने की प्रेरणा भी प्रदान कर गया। मनेकशॉ सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में कर्नल कुरैशी ने युवाओं को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में बताया, जो सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर विशेष महत्व रखता है।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी, जो सिग्नल कोर की एक प्रमुख अधिकारी हैं, ने अपनी प्रस्तुति ‘वॉलंटियरिंग फॉर वैलर: सपोर्टिंग नेशन’ज सिक्योरिटी’ में ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन आधुनिक युद्ध में एक “परिवर्तनकारी बदलाव” लेकर आया है। उन्होंने बताया कि यह भारत की मल्टी-डोमेन प्रिसिजन वारफेयर क्षमता, पांचवीं पीढ़ी की युद्धनीति, आत्मनिर्भरता और त्रि-सेवा एकीकरण को प्रमाणित करता है। “ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि शांति, स्थिरता और प्रगति के बिना युवा मन और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी संभव नहीं।” उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाए गए “इनफॉर्मेशन वारफेयर” का भी उल्लेख किया और युवाओं से अपील की कि वे गलत सूचनाओं से सतर्क रहें तथा डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं। “युवा न केवल जनसांख्यिकीय लाभ हैं, बल्कि हमारा रणनीतिक भंडार हैं।”

कर्नल कुरैशी ने ऐतिहासिक उदाहरण देकर युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह और अशफाकुल्ला खान का जिक्र किया, जो युवावस्था में ही स्वतंत्रता का सपना देखते थे, तथा कारगिल वीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शहादत को याद किया। “सात दशक पहले या ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब भी हम साहस और बलिदान की बात करते हैं, तो युवा ही सामने आते हैं।”

उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन विद्या शास्त्र (ज्ञान) और शस्त्र (शक्ति) दोनों से राष्ट्र की रक्षा सिखाती है। भारतीय सेना अपने सैनिकों को दोनों में निपुण बनाती है। “आप जेन जेड हैं, जो विकसित भारत और तकनीकी रूप से स्वावलंबी राष्ट्र का साक्षी बनेंगे। इजरायल-हमास, रूस-यूक्रेन या अजरबैजान-आर्मेनिया जैसे संघर्षों में युवा नवोन्मेषकों ने साइबर और सूचना क्षेत्रों में नेतृत्व किया है।”

कार्यक्रम में थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि युद्ध अब गैर-जेनेटिक और गैर-संपर्क वाला होता जा रहा है, जिसमें सैन्य शक्ति के साथ बौद्धिक और नैतिक तैयारी जरूरी है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी युवाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देने का आह्वान किया। कार्यक्रम के आयोजक सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज ने घोषणा की कि चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 27-28 नवंबर को “रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म: सशक्त और सुरक्षित भारत” थीम पर आयोजित होगा।

कर्नल सोफिया कुरैशी का सफर खुद एक प्रेरणा है। गुजरात के वडोदरा में जन्मीं, बायोकेमिस्ट्री में एमएससी करने के बाद उन्होंने 1997 में अधिकारी ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई से कमीशन प्राप्त किया। उनके पिता और दादा भी सेना में रहे। 2016 में वे पहली महिला अधिकारी बनीं जिन्होंने बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय दल का नेतृत्व किया। मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय आइकन बना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के ऐतिहासिक फैसले में महिलाओं को स्थायी कमीशन देते हुए उनकी उपलब्धियों का विशेष उल्लेख किया था। एक मुस्लिम महिला के रूप में उनका योगदान एकता और समावेशिता का प्रतीक है।

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी कर्नल कुरैशी की वाणी गूंज रही है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने उनके भाषण को साझा करते हुए कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा केवल वर्दी वालों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर युवा भारतीय की सामूहिक मिशन है।” पीटीआई के वीडियो क्लिप्स ने लाखों व्यूज हासिल किए, जहां वे कहती नजर आ रही हैं, “राष्ट्र की रक्षा सैन्य की जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक का कर्तव्य है।”

कर्नल कुरैशी का संदेश स्पष्ट है: युवा शक्ति बहु गुणक है। वे न केवल आग्नेयास्त्रों में प्रशिक्षित हैं, बल्कि फायरवॉल्स में भी। युद्ध अब बंकरों या गोलियों से नहीं, बल्कि बाइट्स और बैंडविड्थ से लड़ा जाता है। यह संवाद न केवल युवाओं को सशक्त बनाता है, बल्कि एक सुरक्षित भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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