दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में मंगलवार को विश्व थैलेसीमिया दिवस के मौके पर एक समारोह का आयोजन किया गया। थैलेसीमिया इंडिया के सहयोग से सर गंगा राम अस्पताल इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर गंगा राम हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी डॉ. अनुपम सचदेव भी पहुंचे।
कार्यक्रम के दौरान कैरियर डिटेक्शन के लिए प्वाइंट आॅफ केयर टेस्टिंग के साथ एक स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किया गया। भारत में पहली बार बनाए गए प्वाइंट आॅफ केयर परीक्षण उपकरण को भी लॉन्च किया गया। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्य अतिथि थे। अर्जुन मुंडा गेस्ट आॅफ आॅनर थे। उन्होंने थैलेसीमिक बच्चों से बातचीत की और उन्हें उपहार, दवाइयां और फिल्टर बांटे। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सामूहिक प्रयासों से थैलेसीमिया मुक्त भारत का संकल्प पूरा होगा।
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भारत से खत्म होगी थैलेसीमिया की बीमारी, अगले 25 साल का रखा लक्ष्य
ओम बिरला ने नेशनल स्क्रीनिंग द्वारा थैलेसीमिया को रोकने की सख्त आवश्यकता को दोहराया और कार्यक्रम को लागू करने में अपनी मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि इन रोगियों के लिए सुरक्षित रक्त प्रदान किया जाए। उन्होंने देश के सभी हिस्सों में सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया। वहीं अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय मिशन मोड पर रोकथाम और जांच की आवश्यकता पर बल दिया। जैसा कि आदिवासी क्षेत्रों में सिकल सेल एनीमिया के लिए किया जा रहा है। हमें इन बीमारियों पर ध्यान देना होगा और अगले 25 सालों में इनका खात्मा करना होगा।
सर गंगा राम हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी डॉ. अनुपम सचदेव ने कहा कि वर्ष 2006 से थैलेसीमिया के लिए सभी गर्भधारण की जांच की जा रही है। हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि अब तक हमने 50,000 से अधिक गर्भधारण की जांच की है। उस समय से कोई थैलेसीमिक बच्चा पैदा नहीं हुआ है। सर गंगा राम अस्पताल में डिपार्टमेंट आॅफ पीडियाट्रिक के चेयरमैन डॉ. वी. के. खन्ना ने कहा कि हमारी संस्था में थैलेसीमिक्स का उपचार हड्डी और स्टेम सेल प्रत्यारोपण के रूप में उपलब्ध है और हमने लगभग 200 प्रत्यारोपण किए हैं। लेकिन इस बीमारी को रोकना समय की आवश्यकता है। सर गंगा राम अस्पताल में बोर्ड आॅफ मैनेजमेंट के चेयरमैन डॉ. अजय स्वरूप ने कहा कि थैलेसीमिया के इलाज की सभी सुविधाएं हमारे अस्पताल में उपलब्ध हैं और हम अन्य संस्थानों के डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार हैं।
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सही समय पर आरंभ किया जा सकता है इलाज
रिसर्च और इनोवेशन का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि वैज्ञानिक शोध से गंभीर बीमारियों के इलाज के विषय में रोज नई जानकारियां मिलती हैं। उन्होंने आगे कहा कि डिजीज स्क्रीनिंग से समय रहते बीमारियों का पता चलता है और सही समय पर इलाज आरंभ किया जा सकता है। बिरला ने स्क्रीनिंग पर जोर देते हुए कहा कि जन प्रतिनिधियों, अस्पतालों और आम लोगों को समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर स्क्रीनिंग शिविर स्थापित कर थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी के रोकथाम और इलाज के प्रयास करने चाहिए।