Codeine cough syrup syndicate: उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी और बिक्री के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। सिंडिकेट के सरगना शुभम जायसवाल के ठिकानों पर छापेमारी में मिले दस्तावेजों से पता चला है कि अवैध कमाई से एनसीआर के रियल एस्टेट सेक्टर में करोड़ों रुपये का निवेश किया गया। साथ ही, 700 से अधिक फर्जी कंपनियां बनाकर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा था।
ED की हालिया छापेमारियों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के पतों पर रजिस्टर्ड सैकड़ों फर्जी फर्मों का पता चला है। इनमें से 100 से अधिक कंपनियां गौतमबुद्ध नगर जिले में दर्ज हैं, जो दो साल पहले बनाई गईं। जांच में सामने आया कि ये कंपनियां केवल कागजों पर अस्तित्व में थीं और इनके जरिए कोडीन आधारित कफ सिरप की अवैध सप्लाई की जा रही थी। शुभम जायसवाल ने रियल एस्टेट के अलावा होटल, ऑटोमोबाइल और टूरिज्म सेक्टर में भी निवेश किया है। गौतमबुद्ध नगर में ही 50 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होने के प्रमाण मिले हैं।
मामले का मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल वर्तमान में दुबई में फरार है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है और गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित है। पुलिस उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज कर रही है। शुभम के करीबियों की लगभग 38-40 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त करने की तैयारी चल रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुभम समेत आरोपियों की याचिका खारिज कर दी है, जिससे गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया।

यह सिंडिकेट हजारों करोड़ के अवैध कारोबार से जुड़ा है, जिसमें फर्जी बिलों, शेल कंपनियों और हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया। सिरप की बड़ी खेप बांग्लादेश और नेपाल भेजी जा रही थी। राज्य सरकार ने SIT गठित की है, जबकि ED मनी लॉन्ड्रिंग के कोण से जांच कर रही है। अब तक 70 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और कई फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
जांच आगे बढ़ने के साथ और खुलासे होने की संभावना है। ED ने तीन राज्यों में 25 ठिकानों पर छापे मारे थे, जिसमें फर्जी दस्तावेज और अवैध लेन-देन के सबूत बरामद हुए। यह मामला न केवल नशीले पदार्थों की तस्करी बल्कि संगठित अपराध और काले धन के निवेश का भी बड़ा उदाहरण बन चुका है।

