उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से मोपाटा गांव में आई तबाही, बदरीनाथ हाईवे किया गया बंद

Cloud burst news in Chamoli: उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल तहसील के अंतर्गत मोपाटा गांव में 29 अगस्त सुबह एक भीषण बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण भारी मात्रा में मलबा गांव में घुस गया, जिससे कई परिवार प्रभावित हुए और दो लोगों के लापता होने की खबर है। लापता व्यक्तियों की पहचान तारा सिंह और उनकी पत्नी के रूप में हुई है, जिससे उनके परिवार में दुख और चिंता का माहौल है। इसके अलावा, विक्रम सिंह और उनकी पत्नी इस घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि बादल फटने के कारण एक मकान और एक गौशाला मलबे में दब गए, जिससे कई पशु भी हताहत हुए। मलबे के कारण बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-58) पूरी तरह से बाधित हो गया है, जिससे तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों की आवाजाही पर भारी असर पड़ा है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस आपदा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, “चमोली जिले के देवाल क्षेत्र और रुद्रप्रयाग के बरेठ डुंगर टोक क्षेत्र में बादल फटने से मलबे के कारण कुछ परिवार फंस गए हैं। स्थानीय प्रशासन, SDRF और पुलिस राहत और बचाव कार्य में युद्धस्तर पर जुटे हैं। मैं अधिकारियों के निरंतर संपर्क में हूं और आपदा सचिव व जिला मजिस्ट्रेट को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।”

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), और स्थानीय प्रशासन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। मलबे से प्रभावित सड़कों को खोलने के लिए बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) भी काम कर रहा है। हालांकि, लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के कई जिलों, जिसमें चमोली, रुद्रप्रयाग, और उत्तरकाशी शामिल हैं, के लिए भारी बारिश और गरज के साथ बौछारों की चेतावनी जारी की है। यह आपदा उत्तराखंड में इस मानसून सीजन में बार-बार हो रही प्राकृतिक आपदाओं की शृंखला का हिस्सा है, जिसमें पहले भी उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

स्थानीय प्रशासन ने लोगों से बारिश और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सावधानी बरतने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है। राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

यह घटना उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास के प्रभावों पर भी सवाल उठ रहा है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है।

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