Clean Air Survey: नोएडा : वायु प्रदूषण से घिरे 133 शहरों की हवा को साफ बनाने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हवा की दशा सुधारने में बड़े शहरों में सूरत, जबलपुर और आगरा सबसे आगे हैं। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में नोएडा को सेकेंड कैटेगरी में छठी रैंक मिली है। तीन से दस लाख की जनसंख्या वाले क्षेत्रों में 43 शहरों को रखा गया है। इसमें नोएडा ने अपना स्थान बनाया है। इसमें सबसे अच्छी रैंक उत्तर प्रदेश के चार जिलों रायबरेली, फिरोजाबाद, झांसी और आगरा ने हासिल की है। नोएडा इनसे पीछे है।
Clean Air Survey:
पलूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा ने कहा कि नोएडा में एयर पलूशन का सबसे बड़ा कारण बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन है। इसे कंट्रोल करने के लिए अथॉरिटी के साथ कदम उठाए जाएंगे। इसी वजह से जिला किसी भी कैटेगरी में टॉप थ्री में रैंक हासिल नहीं कर सका। पिछले साल भी शहर अपनी जगह नहीं बना पाया था। इस साल नोएडा ने छठा स्थान हासिल किया है। पिछले सर्वेक्षण में नाम न आने पर हमने वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए खास कदम उठाए थे। शहर को अन्य एनसीआर क्षेत्रों से फाइनल स्कोर 187 मिला है।
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भूपेंद्र यादव ने जारी की रिपोर्ट
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को जयपुर मे आयोजित एक कार्यक्रम में यह स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 की यह रिपोर्ट जारी की। इस दौरान सर्वेक्षण में सभी श्रेणियों में शीर्ष तीन स्थानों में शामिल शहरों को पुरस्कृत भी किया गया। दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की सूची में पहले स्थान पर शामिल सूरत को इस दौरान डेढ़ लाख का पुरस्कार दिया गया, जबकि जबलपुर को एक लाख और आगरा को पचास हजार रुपये दिए गए।
इस आधार पर की गई मानकों की जांच
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में शामिल इन शहरों की वायु गुणवत्ता की स्थिति को जांचा गया। साथ ही इस दिशा में उठाए कदमों के आधार पर उनकी रैंकिंग की गई। आइआइटी कानपुर की भी इसमें मदद ली गई। इस दौरान शहरों की वायु गुणवत्ता की रैकिंग कचरा जलाने, सड़क से उठने वाली धूल जैसे आठ मानकों के आधार पर की गई। इसमें सूरत को सबसे अधिक 194 अंक, जबलपुर को 193 अंक और आगरा को 190 अंक मिले थे। इस रैंकिंग में दिल्ली 11वें, रायपुर 12वें, वाराणसी 13वें, पटना 14 वें स्थान पर हैं।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण का स्तर कई बार 600 से भी पार हो जाता है। नोएडा के उद्योग सिटी होने के कारण यहां इंडस्ट्री से निकलने वाला धुआं भी हवा को दूषित बनाता है। आए दिन शहर में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हो रहा है। निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल, मिट्टी, कार्बन हवा में घुलता है, जिससे हवा का पीएम 2 5 और पीएम 10 अधिक बना रहता है। जो घातक वायु प्रदूषण की श्रेणी में आता है। वहीं, इस बार फरीदाबाद 21वें स्थान पर रहा है, जबकि पिछले साल 47वें स्थान पर था। फरीदाबाद की हवा पहले की तुलना में इस बार शुद्ध हुई है। यह शहरवासियों के लिए राहत की खबर है। गाजियाबाद 22वें स्थान पर रहा है, जबकि पिछले साल 12वें स्थान पर था।
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तीन से 10 लाख तक की आबादी वाली टाप-10 सिटी
1. फिरोजाबाद
2. अमरावती
3. झांसी
4. गोरखपुर
5. नवी मुंबई
6. नोएडा
7. भुवनेश्वर
8. गया9. कटक
10.गुंटूर
तीन लाख तक की आबादी वाले शीर्ष 10 शहर
1. रायबरेली
2. नालगोंडा
3. नालागढ़
4. तलचर
5. हल्दिया
6. अंगुल
7. बालासोर
8. संग्गारेड्डी
9. परवाणू
10.सुंदर नगर