लपेट में आ सकते हैं मुख्य कर निर्धारण अधिकारी
पटना में ब्लैक लिस्ट स्पैरो कंपनी के खिलाफ नगर निगम ने शुरू की जांच
Ghaziabad news : नगर निगम ने शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने की एवज में यूजर चार्ज वसूलने का ठेका जिस स्पैरो सॉफ्ट टैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया। वह कंपनी बिहार के पटना से ब्लैक लिस्ट है। स्पैरो सॉफ्ट टैक कंपनी के खिलाफ अब नगर निगम ने जांच शुरू कर दी है। जांच शुरू होने के बाद अब नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी (सीटीओ) डॉ. संजीव सिन्हा भी लपेटे में आ सकते हैं। क्योंकि कंपनी के जरिए अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है। नगर निगम मुख्यालय स्थित महापौर सुनीता दयाल के आॅफिस में मंगलवार को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक, जांच समिति में शामिल पार्षद प्रवीण चौधरी, पार्षद अजय शर्मा, पार्षद बिल्लू यादव, पार्षद राजीव भाटी एवं नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह, मुख्य नगर लेखा परीक्षक विवेक सिंह, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा आदि की उपस्थिति में कंपनी की फाइलों की जांच की गई।
महापौर सुनीता दयाल ने कहा कि निगम के एक जोन क्षेत्र का यूजर चार्ज कलेक्शन नगर निगम के जरिए स्वयं किया जाएगा। नगर आयुक्त ने कहा कि यूजर चार्ज की शर्तों का कंपनी को शत-प्रतिशत अनुपालन करना होगा। महापौर कार्यालय में हुई बैठक में एस्क्रो एकाउंट को खत्म कर निगम अब अपने एकाउंट से कंपनी को उसका प्रतिशत देने पर निर्णय लिया गया। दरअसल, नगर निगम की पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में यूजर चार्ज वसूलने वाली स्पैरो कंपनी के खिलाफ पार्षदों ने हंगामा किया था। नगर निगम ने वर्ष-2022 में कंपनी को 10 वर्ष के लिए ठेके को लेकर विवाद चला आ रहा है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा का कहना है कि कंपनी को बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद ही ठेका दिया गया। हालांकि जांच में मिनिट्स पर पूर्व महापौर के हस्ताक्षर मिले है। जबकि तत्कालीन कई पार्षदों का कहना है कि बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव कभी पेश तक नहीं किया गया।
नगर निगम ने अपनी मर्जी से कंपनी को ठेका दिया गया। यूजर चार्ज कलेक्शन करने वाली स्पैरो कंपनी के खिलाफ फरवरी और अगस्त माह में पटना में नगर आयुक्त के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कराई गई। कंपनी पर पटना नगर निगम ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए पहले ही ब्लैक लिस्ट कर दिया है। ऐसे में ब्लैक लिस्ट कंपनी को कांट्रेक्ट देने पर भी अब सवाल उठ रहे है। हालांकि कंपनी को कांट्रेक्ट मार्च-2024 तक रहेगा। उसके बाद ही नगर निगम इस कंपनी का कांट्रेक्ट निरस्त कर पाएगा। उम्मीद है कि जल्दी ही जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। इस प्रकरण में अब मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
सूझबूझ से कार्य करने के दिए आदेश
महापौर सुनीता दयाल एवंं नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने संयुक्त रूप से कमेटी के माध्यम से अधिकारियों को लापरवाही नहीं करने और सूझबूझ से कार्य करने के लिए आदेश दिए। इसमें लापरवाही बरतने पर ठोस निर्णय लिया जाएगा।