राज्यमंत्री असीम अरुण ने बताया कि 29 अक्टूबर 2025 को योजना के अंतर्गत प्रदेशभर के कोचिंग संस्थानों में आउटसोर्सिंग से नियुक्त कोर्स कोऑर्डिनेटरों की भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। विभागीय जांच में पता चला कि कोर्स कोऑर्डिनेटर पद के लिए यूपी पीसीएस मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य था, लेकिन कई अपात्र अभ्यर्थियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति दे दी गई।

जांच में खुलासा:
कुल 69 नियुक्त कोऑर्डिनेटरों की दस्तावेज जांच में केवल 21 अभ्यर्थी ही पात्र पाए गए। बाकी को फर्जी या कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नियुक्ति दिलाई गई थी। प्रथम दृष्टया आउटसोर्सिंग कंपनी को दोषी माना गया है।
अधिकारियों की भूमिका पर भी जांच
असीम अरुण ने निर्देश दिए हैं कि दस्तावेज सत्यापन की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही या भूमिका की अलग से प्रशासनिक जांच कराई जाएगी। भविष्य में सभी आउटसोर्सिंग नियुक्तियों में पुलिस वेरिफिकेशन और दस्तावेज सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा। वर्तमान में कार्यरत सभी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का भी दोबारा सत्यापन होगा।
मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना गरीब और मेधावी छात्रों को निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। इस घोटाले से योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन मंत्री की त्वरित कार्रवाई से पारदर्शिता बहाल करने की कोशिश की जा रही है।
फिलहाल जांच जारी है और आगे की कार्रवाई जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।

