छठ महापर्व: डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने की सुख-समृद्धि की कामना

Chhath Mahaparva News: कार्तिक शुक्ल षष्ठी के पावन अवसर पर पूरे देश में छठ महापर्व का तीसरा दिन धूमधाम से मनाया गया। लाखों व्रतियों ने नदियों, तालाबों और घाटों पर एकत्र होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना की। यह परंपरा प्रकृति, सूर्य देव और छठी मैया के प्रति कृतज्ञता का अनुपम प्रतीक है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में दिखाई दिया।

छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से हुई थी, उसके बाद 26 अक्टूबर को खरना के साथ व्रत का संकल्प लिया गया। आज तीसरे दिन व्रतियों ने निर्जला उपवास रखा और सूर्यास्त के समय घाटों पर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। पंचांग के अनुसार, संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम 5:10 से 5:58 बजे तक रहा, जिसमें सबसे उत्तम समय 5:40 बजे माना गया। तांबे के लोटे में जल, रोली, लाल फूल, चावल और शक्कर भरकर सूर्य को अर्घ्य देते हुए व्रती “ॐ घृणि सूर्याय नमः” या “आदित्याय नमः” मंत्रों का जाप करती रहीं।

पटना के दीघा घाट, गांधी घाट और मीनार घाट पर हजारों श्रद्धालु स्नान कर पूजा में डूबे रहे। बिहारी गायिका अक्षरा सिंह भी परिवार के साथ मीनार घाट पर उपस्थित हुईं, जहां उन्होंने ठेकुआ, मौसमी फल और गुड़ की खीर का प्रसाद सूर्य देव को चढ़ाया। नोएडा सेक्टर 19 के कृत्रिम जलाशय पर दिल्ली-एनसीआर के व्रती एकत्र हुए, तो रांची के कांके डैम और झारखंड के अन्य घाटों पर भी भक्तिमय माहौल रहा। मुंबई के जुहू बीच पर प्रवासी बिहारवासी छठ की धूम मना रहे हैं। लखनऊ में गोमती नदी के तट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अर्घ्य देकर प्रार्थना की।

छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यह जीवन के संतुलन, चुनौतियों पर विजय और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। केवल छठ ही एक ऐसा पर्व है जहां अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना की जाती है, जो व्रती को आशीर्वाद प्रदान करता है। विभिन्न शहरों में सूर्यास्त का समय अलग-अलग रहा: पटना में शाम 5:35 बजे, दिल्ली में 5:45 बजे, रांची में 5:25 बजे और बैंगलोर में 5:50 बजे।

पुलिस प्रशासन ने सभी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। सीतामढ़ी पुलिस ने घाटों और मार्गों पर तैनाती बढ़ाई, ताकि व्रती निर्भय होकर पूजा कर सकें। कल 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ व्रत का समापन होगा, जब उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण किया जाएगा।

यह महापर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जो पर्यावरण संरक्षण और सूर्य ऊर्जा के महत्व को भी रेखांकित करता है। व्रतियों की भक्ति से प्रेरित होकर पूरा देश आस्था के इस सागर में डूबा नजर आ रहा है।

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