Chhath Puja 2024 : छठ पर्व का आज तीसरा दिन है. नहाए-खाए और खरना के बाद इस महापर्व में आज संध्याकाल में डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन पहले भगवान सूर्य और छठी मैय्या की विधिवत पूजा की जाती है. फिर शाम के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की उपासना से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है. आइए आपको छठ पर्व के तीसरे दिन की पूजन विधि और संध्या अर्घ्य का समय बताते हैं.
Chhath Puja 2024 :
दिल्ली के आईटीओ स्थित यमुना के छठ घाट पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देती छठ व्रती महिलाएं । हाईकोर्ट ने यमुना के पानी में छठ मनाने की इजाजत नहीं दी है। लेकिन इसके बाद भी पूर्वांचल के लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। जगह-जगह पर कृत्रिम तरीके से बनाए गए घाटों पर लोग छठ पूजा कर रहे हैं।
छठ मैया से अपनी मनोभावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने का वरदान मांग रहे हैं। छठ पूजा घाट पर आए लोगों की राय है कि यदि यमुना को साफ किया गया होता और वह यमुना के जाल में अपनी पूजा कर पाए होते तो यह बहुत अच्छा होता।
Chhath Puja 2024 :
YEIDA में साढे छह सौ करोड़ का निवेश करेगी मिंडा, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
वहीं छठ पर्व के मौके पर मुख्यमंत्री आतिशी ने संध्या अर्घ्य पर बालमुकुंद खंड, गिरी नगर में छठी मईया का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि इस साल दिल्ली में सरकार द्वारा 1000 से अधिक भव्य छठ घाट तैयार किए गए हैं। जहां हमारे पूर्वांचली भाई-बहन अपने घर के पास ही हर्षोल्लास से इस महापर्व को मना रहे हैं। भगवान भास्कर और छठी मइयां सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। छठी मईया की जय हो।
छठ में तीसरे दिन कैसे होती है पूजा?
छठ पर्व के तीसरे दिन की पूजा को संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. यह पूजा चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है. इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं. छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं. एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं.
सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं. अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है. उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है. घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं.
सूर्य अर्घ्य देने का समय
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे होगा. जबकि सूर्यास्त शाम 05:48 बजे होगा. इस दिन नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं.
छठ पर्व की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी. इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परन्तु वह मृत पैदा हुआ. प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे. उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. हे! राजन् आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें. राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी.
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट परिसर में नए म्यूजियम का उद्घाटन
Chhath Puja 2024 :