‘सार्वजनिक व्यवस्था भंग’ का आरोप: X को मिले 50% टेकडाउन नोटिस, Sahyog पोर्टल की रिपोर्ट

‘सार्वजनिक व्यवस्था भंग’ का आरोप: गृह मंत्रालय (MHA) ने मार्च 2024 में लॉन्च किए गए सहयोग (Sahyog) पोर्टल के जरिए पिछले लगभग दो वर्षों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) को 91 टेकडाउन नोटिस जारी किए हैं। इन नोटिस में 1,100 से अधिक URL को फ्लैग किया गया है। मीडिया की एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से आधे से अधिक (566 URL) को “सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने” के आरोप में चिह्नित किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2024 से नवंबर 2025 तक की अवधि में जारी इन नोटिस की संख्या में स्पष्ट उछाल देखा गया, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों और 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान। चुनावी अवधि (अप्रैल-मई 2024) में कुल 761 URL फ्लैग किए गए, जिनमें से कई पर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का आरोप लगा। एक ही नोटिस में सबसे अधिक 115 URL 13 मई 2024 को फ्लैग किए गए, जो एक कथित रूप से संपादित वीडियो से जुड़े थे।

मुख्य आरोप और आंकड़े:
• सार्वजनिक व्यवस्था भंग: 50% से अधिक मामले (566 URL)।
• राजनेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाना: 124 URL, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं से जुड़े कथित रूप से मैनिपुलेटेड कंटेंट शामिल।
• अमित शाह से जुड़े 91 URL छह नोटिस में फ्लैग।
• नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी की मैनिपुलेटेड इमेज से जुड़े 21 URL।
• चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करना: मई 2024 में नौ नोटिस में 198 URL।
• आपराधिक गतिविधियां: केवल 14 नोटिस, जिनमें सट्टेबाजी ऐप्स, फाइनेंशियल फ्रॉड और चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मटेरियल शामिल।
• राष्ट्रीय अखंडता को खतरा: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पांच नोटिस में 56 URL।
रिपोर्ट के अनुसार, X कॉर्प ने कई नोटिस पर आपत्ति जताई है और दावा किया है कि ये IT एक्ट की धारा 79(3)(b) के तहत जारी किए जा रहे हैं, जबकि ऐसे ऑर्डर धारा 69A के तहत ही जारी होने चाहिए, जिसमें अधिक पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया शामिल है। X ने सहयोग पोर्टल की वैधता को चुनौती दी है, जो कर्नाटक हाई कोर्ट में लंबित है।

गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में इन नोटिस का बचाव किया है और कहा है कि ये साइबर क्राइम से निपटने के लिए जरूरी हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि ज्यादातर नोटिस सार्वजनिक व्यवस्था या राजनीतिक कंटेंट से जुड़े हैं, न कि गंभीर आपराधिक मामलों से।

यह खुलासा ऐसे समय में आया है जब ऑनलाइन कंटेंट पर सरकारी नियंत्रण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस तेज है। X ने पहले भी सहयोग पोर्टल को “सेंसरशिप टूल” करार दिया था।

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