छात्रों के सर्वांगीण विकास एवं कल्याण के लिए समाज में भी बदलाव जरूरी: द्रौपदी मुर्मू
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि यह हमें ऐसा वातावरण बनाने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने का प्रयास करना चाहिए, जहां हमारे युवा आत्मविश्वास और साहस के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए मूल्यवान और सशक्त महसूस करें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज मद्रास विश्वविद्यालय के 165वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को ऐसे वातावरण का सृजन करना चाहिए जो पारस्परिक संचार को प्रोत्साहन दे, जहां छात्र निर्णय से डरे बिना अपने डर, चिंताओं और संघर्षों पर चर्चा करने में सहज महसूस करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के समय में शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने का दबाव, अच्छे संस्थानों में प्रवेश न पाने का डर, प्रतिष्ठित नौकरी न मिलने की चिंता और माता-पिता एवं समाज की अपेक्षाओं का दबाव हमारे युवाओं में तीव्र मानसिक तनाव पैदा कर रहा है।उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम इस विषय को संबोधित करने के लिए एक समाज के रूप में एक साथ आएं और एक ऐसा वातावरण बनाएं जो हमारे छात्रों के समग्र विकास और कल्याण को बढ़ावा दे।
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उन्होंने छात्रों से भी आग्रह किया कि वे कभी भी किसी भी चिंता को अपने ऊपर हावी न होने दें। उन्होंने उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने और आगे बढ़ते रहने की सलाह दी। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1857 में स्थापित, मद्रास विश्वविद्यालय को भारत के सबसे पुराने आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक होने का गौरव प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय ने ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि 165 से अधिक वर्षों की अपनी यात्रा के दौरान मद्रास विश्वविद्यालय ने शिक्षण के उच्च मानकों का पालन किया है, एक ऐसा वातावरण प्रदान किया है जो बौद्धिक जिज्ञासा और महत्वपूर्ण सोच का पोषण करता है। यह अनगिनत विद्वानों, नेताओं और दूरदर्शी व्यक्तिव के सृजन का एक उद्गम स्थल रहा है, इसने एक प्रकाश स्तम्भ के रूप में भी कार्य किया है, जो भारत के दक्षिणी क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की स्थापना और विकास में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
समस्याओं का समाधान खोजने में होना चाहिए अग्रणी
राष्ट्रपति ने कहा कि मद्रास विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और शिक्षण की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से अत्याधुनिक अनुसंधान में अधिक निवेश करने, अंतर-शास्त्र अध्ययन को प्रोत्साहित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का आहृवान किया। मद्रास विश्वविद्यालय को देश और दुनिया के समक्ष आ रही समस्याओं का समाधान करने के लिए सीखने पर धारित समाधान खोजने में अग्रणी होना चाहिए।