चांदनी चौक में अवैध निर्माण विवाद, कूचा महाजनी की 60 ज्वेलर्स दुकानों पर सीलिंग का खतरा, व्यापारी हो रहे परेशान

Chandni Chowk News: दिल्ली के ऐतिहासिक चांदनी चौक के व्यापारियों के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। देश के सबसे बड़े सोना-चांदी के बाजार कूचा महाजनी में एक बिल्डिंग को अवैध निर्माण के आरोप में दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 24 घंटे के भीतर खाली करने का नोटिस जारी किया है। इस बिल्डिंग में करीब 60 ज्वेलर्स की दुकानें हैं, जो दशकों से इस इलाके की आर्थिक रीढ़ रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि यह बिल्डिंग 1998 से मौजूद है और उनके पास इसके सभी वैध दस्तावेज हैं, फिर भी MCD की ओर से यह कार्रवाई समझ से परे है।
MCD की कार्रवाई और व्यापारियों का विरोध
पिछले कुछ समय से चांदनी चौक में अवैध निर्माण को लेकर MCD और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती चर्चा में है। हाल ही में, 7 अगस्त 2025 को कटरा नील इलाके में 25-30 दुकानों को सील करने का आदेश जारी हुआ था, जिसके बाद व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। अब कूचा महाजनी में 60 दुकानों वाली बिल्डिंग को नोटिस मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया है। व्यापारियों का कहना है कि उनकी दुकानें दशकों पुरानी हैं और हमेशा से व्यावसायिक गतिविधियां होती रही हैं। एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारे पास बिल्डिंग के सभी कागजात हैं। यह कार्रवाई अचानक और बिना ठोस आधार के की जा रही है।”
ज्वैलर्स एसोसिएशन ने भी इस नोटिस के खिलाफ एकजुटता दिखाने की अपील की है। व्यापारियों का आरोप है कि MCD और प्रशासन उनकी बात सुने बिना एकतरफा कार्रवाई कर रहा है, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और MCD की निष्क्रियता
सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक में अवैध निर्माण को लेकर बार-बार MCD को फटकार लगाई है। 18 जुलाई 2025 को कोर्ट ने आदेश दिया था कि अवैध निर्माण वाली संपत्तियों को तुरंत सील किया जाए और निर्माण कार्य में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाए। कोर्ट ने MCD अधिकारियों पर बिल्डरों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है, जिसे रोका जाना चाहिए। इसके अलावा, 17 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने MCD को CBI जांच की चेतावनी दी थी, क्योंकि अधिकारियों ने अवैध निर्माण को रोकने में नाकामी दिखाई।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि चांदनी चौक में आवासीय संपत्तियों को व्यावसायिक परिसरों में बदलने पर रोक लगाई जाए। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि कूचा महाजनी और कटरा नील जैसे इलाके हमेशा से व्यावसायिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं, और अब इन क्षेत्रों को ‘रिहायशी’ बताकर सीलिंग की कार्रवाई गलत है।
पुरानी दिल्ली की चुनौतियां
चांदनी चौक और पुरानी दिल्ली में अवैध निर्माण एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है। तंग गलियों और पुरानी हवेलियों के बीच आधुनिक जरूरतों के लिए इमारतों को ऊंचा करना और व्यावसायिक उपयोग के लिए बदलना आम बात रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे विरासत क्षेत्र के संरक्षण के लिए खतरा माना है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 मार्च 2025 को MCD को छह सप्ताह में अवैध निर्माण पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का कहना है कि पुरानी दिल्ली की गलियां आधुनिक जरूरतों के हिसाब से नहीं बनी हैं, और पुनर्विकास योजना में देरी ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। खारी बावली के केमिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने बताया कि बीते 30 सालों में इलाके के 50% से अधिक मतदाता यहां से पलायन कर चुके हैं, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं जैसे पार्किंग की कमी और अवैध निर्माण के विवादों ने हालात बिगाड़ दिए हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
MCD ने चांदनी चौक में अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि बिना स्पष्ट नीति और संवाद के ऐसी कार्रवाइयां उनके लिए अन्यायपूर्ण हैं। चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी इस समस्या को स्वीकार किया है और MCD से कानूनी-अवैध निर्माणों का सर्वे कराने की बात कही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी दिल्ली के पुनर्विकास के लिए एक व्यापक और पारदर्शी योजना की जरूरत है, जिसमें व्यापारियों और निवासियों की राय शामिल हो। फिलहाल, कूचा महाजनी के व्यापारी इस नोटिस के खिलाफ कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं, और ज्वैलर्स एसोसिएशन ने एकजुट होकर MCD के फैसले का विरोध करने का फैसला किया है।
निष्कर्ष
चांदनी चौक का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व इसे दिल्ली की शान बनाता है, लेकिन अवैध निर्माण के विवाद और MCD की सख्ती ने यहां के व्यापारियों को संकट में डाल दिया है। एक तरफ कोर्ट का दबाव और दूसरी तरफ व्यापारियों की रोजी-रोटी की चिंता इस मुद्दे को जटिल बनाती है। इस मामले में संतुलित और पारदर्शी समाधान की जरूरत है, ताकि चांदनी चौक की विरासत और व्यापार दोनों बचे रहें।

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