Chandigarh News: हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने एक महत्वपूर्ण आदेश में दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना (दयालु) के तहत लिपिकीय त्रुटियों के कारण पात्र परिवारों को मिलने वाले लाभ में हो रही देरी और मनमानी अस्वीकृतियों पर कड़ा रुख अपनाया है।
आयोग ने शिकायत संख्या 519/8/2025 के निस्तारण के दौरान पाया कि एक शिकायतकर्ता का दावा केवल मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार पहचान पत्र में आयु में अंतर होने के कारण अस्वीकृत कर दिया गया था। आयोग ने कहा कि ऐसी अस्वीकृति न केवल मनमानी है बल्कि कल्याणकारी योजना के उद्देश्य को भी विफल करती है।
शिकायतकर्ता ने इस हरियाणा मानव अधिकार आयोग को दी अपनी शिकायत में लिखा है कि मेरे पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र में दर्ज मृतक पिता की आयु, परिवार पहचान पत्र (Family ID) में दर्शाई गई आयु से मेल नहीं खाती थी। केवल इस आधार पर शिकायतकर्ता की दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना (दयालु) के तहत की गई आवेदन को अनुचित रूप से अस्वीकृत कर दिया गया| यह भी बताया गया कि मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार पहचान पत्र (Family ID) में दर्ज मृतक पिता की आयु में अंतर होना, केवल एक लिपिकीय त्रुटि थी, जिसे अब सुधार लिया गया है। संशोधित मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बावजूद भी अधिकारियों ने उसके आवेदन पुनर्विचार नहीं किया।
दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना (दयालु), हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है, जो विशेष रूप से सत्यापित परिवार पहचान पत्र के अनुसार सीमित आय वाले परिवारों के मृतक कमाने वाले सदस्य के परिजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य शोकग्रस्त परिवारों को सामाजिक सुरक्षा और आजीविका संरक्षण प्रदान करना है। संशोधित दस्तावेज जमा कराने के बावजूद शिकायतकर्ता के दावे को अस्वीकार करना योजना के उद्देश्यों को विफल करता है और इसे लागू करने वाली एजेंसी द्वारा दिशानिर्देशों का पालन न करने को दर्शाता है।
हरियाणा मानव अधिकार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने अपने आदेश में लिखा है कि संशोधित आधिकारिक रिकॉर्ड जमा करने के बावजूद कल्याणकारी योजना के तहत वित्तीय सहायता से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। राज्य के अंग होने के नाते, उत्तरदायी अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं कि कल्याणकारी लाभ समय पर प्रदान किए जाएँ, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को। वर्तमान मामले में प्रक्रिया की अनुचितता और प्रशासनिक उदासीनता परिलक्षित होती है, जिससे मूलभूत मानव अधिकारों का हनन होता है।
उपर्युक्त तथ्यों के मद्देनजर, आयोग को शिकायतकर्ता की शिकायत में प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होती है, जो अनुचित, अस्वीकृति और मूलभूत मानवीय गरिमा का उल्लंघन करने वाले संभावित कल्याणकारी अधिकारों से वंचित को इंगित करता है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने कहा: “लिपिकीय त्रुटियों के कारण किसी भी पात्र व्यक्ति को कल्याणकारी योजनाओं से वंचित करना मूलभूत मानवीय गरिमा का उल्लंघन है। पारदर्शिता और कारणयुक्त आदेश कल्याणकारी प्रशासन की रीढ़ हैं।”
इस मामले में 08.07.2025 को सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने आदेश दिया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास, हरियाणा सिविल सचिवालय, सेक्टर-1, चंडीगढ़, उपायुक्त, जींद तथा प्रशासनिक अधिकारी, हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास, योजना भवन, बे नं. 21–28, सेक्टर-4, पंचकूला, हरियाणा 21.8.2025 से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्टें आयोग के सामने प्रस्तुत करें| रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाए कि संशोधित अभिलेखों के बावजूद प्रकरण को दोबारा क्यों नहीं खोला गया, योजना में पुनर्विचार की क्या प्रावधान हैं और भविष्य में ऐसी चूक से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि शिकायतकर्ता की उपस्थिति में उसके मामले का पुनः शीघ्र निस्तारण किया जाए और आवश्यक औपचारिकताओं को पूर्ण किया जाए।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा के 08.07.2025 के आदेश के अनुपालन में उपायुक्त, जींद की दिनांक 28.07.2025 की रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें उल्लेख है कि आवेदक कार्यालय में उपस्थित हुआ और लिखित में बयान दिया कि उसकी दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली लाभ की शिकायत का निवारण कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास की रिपोर्ट दिनांक
06.08.2025 भी प्राप्त हुई है। उक्त रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता श्री अमन जिनकी आईडी/टिकट नं. 6PMY1522 है, इसको 11.07.2025 को पुनः खोला गया और 14.07.2025 को संशोधित दस्तावेज अपलोड किया गया। रिपोर्ट में आगे उल्लेख है कि प्रारंभ में आवेदन को इसलिए अस्वीकृत किया गया था क्योंकि परिवार पहचान पत्र में मृतक की आयु 56.03 वर्ष थी, जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र में आयु 51 वर्ष थी। उक्त अंतर के कारण ही आवेदन को अस्वीकृत किया गया था। शिकायतकर्ता ने यह नहीं बताया कि यह लिपिकीय त्रुटि है और न ही उसने समय पर संशोधन करवाकर संबंधित कार्यालय को सूचित किया। अब शिकायतकर्ता ने संशोधित मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दिया है, जिसके बाद आवेदन को पुनः खोला गया है और फाइल प्रक्रिया में है।
आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा का मत है कि केवल इतना लिख देना कि मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार आईडी में आयु मेल नहीं खाती, यह कारण स्पष्ट नहीं करता और न ही यह बताता है कि शिकायतकर्ता के पास सुधार हेतु कौन-सा उपाय उपलब्ध है। यह तरीका मनमाने ढंग से कल्याणकारी अधिकार से वंचित करने जैसा है। अधिकारियों को कारणयुक्त (Speaking) आदेश पारित करना चाहिए, जिसमें अस्वीकृति के आधार और सुधार की प्रक्रिया दोनों का उल्लेख हो। आयोग यह भी मानता है कि जहां मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार आईडी में आयु में अंतर हो, वहां आवेदन को सीधे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में एक समान सुधार प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए| अधिकारी प्रार्थना-पत्र की प्राप्ति स्वीकार करें, दस्तावेज की जांच करें और एक कारणयुक्त आदेश तय समय में पारित करें, ताकि शिकायतकर्ता का कल्याणकारी अधिकार लिपिकीय त्रुटियों के कारण नष्ट न हो।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व् जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने बताया कि शिकायत निवारण की प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने निम्न निर्देश दिए है
• संशोधित दस्तावेज जमा होने पर दावा पुनः खोला जाए और बिना नई प्रक्रिया के लाभ सुनिश्चित किया जाए।
• ऐसे मामलों में एक स्पष्ट सुधार प्रक्रिया बनाई जाए, जिसके तहत आवेदक केवल संशोधित दस्तावेज और साधारण प्रार्थना-पत्र देकर दावा पुनः सक्रिय कर सके।
• जिला स्तर पर विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया जाए, जिसमें सामाजिक कल्याण विभाग और जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि शामिल हों।
• प्रकोष्ठ प्रत्येक शिकायत को दर्ज करे, मार्गदर्शन दे और समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करे।
• सरकार योजनाओं से जुड़ी जन-जागरूकता गतिविधियां चलाए और महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर सूचना प्रदर्शित करे।
आयोग ने यह भी अपेक्षा व्यक्त की कि संबंधित अधिकारी कानून और योजना के प्रावधानों के अनुसार इस प्रकरण का शीघ्र निस्तारण करेंगे।

