सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम, कारीगरों का गुस्सा फूटा, 6 महीने से वेतन बकाया, कैसे मनेगी दिवाली

Central Cottage Industries Emporium News: दिल्ली के प्रतिष्ठित जनपथ स्थित सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम (सीसीआईई) में मंदी का साया गहरा गया है। यहां के लगभग 250 कर्मचारियों और कारीगरों का गुस्सा फूट पड़ा है, क्योंकि पिछले 6 महीनों से उनका वेतन बकाया पड़ा हुआ है। यूनियन स्टाफ को 4 महीने का, अधिकारियों को साढ़े 6 महीने का और कैजुअल कर्मचारियों को 2 महीने का वेतन नहीं मिला है। एक कर्मचारी ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, “बच्चों की पढ़ाई रुक गई है, इलाज कराने तक के पैसे नहीं हैं। हम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेंट में जाने वाले सामान बनाते हैं, लेकिन आज खुद भूखमरी के कगार पर हैं।”

सीसीआईई, जो 1952 में स्थापित हुआ था, भारत की कला और शिल्प का प्रतीक रहा है। यह एम्पोरियम राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और विभिन्न मंत्रालयों के लिए उपहार सामग्री तैयार करता है। यहां हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, ब्रास आर्ट, चंदन की नक्काशी, पश्मीना शॉल, कांजीवरम सिल्क और चित्रकला जैसे उत्पाद बिकते हैं। लेकिन आज एम्पोरियम की अलमारियां खाली पड़ी हैं। पहले रोजाना 15-20 लाख रुपये की बिक्री होती थी, अब पूरा महीना मिलाकर मात्र 3-4 लाख का कारोबार हो रहा है। ग्राहक आते तो हैं, लेकिन स्टॉक न मिलने पर निराश होकर लौट जाते हैं। एक कर्मचारी ने कहा, “त्योहारों पर कभी करोड़ों का कारोबार होता था, अब दुकानें लगभग सूनी हैं।”

कर्मचारियों का कहना है कि बिक्री में कमी के कारण कंपनी आर्थिक संकट से जूझ रही है, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। यूनियन लीडर राकेश कुमार ने द हिंदू को बताया कि महंगाई आसमान छू रही है, लेकिन वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई। पहले यात्रा और यूनिफॉर्म भत्ता मिलता था, अब बुनियादी खर्चों के लिए भी कुछ नहीं। नवंबर 2023 का वेतन अप्रैल 2024 में मिला था, उसके बाद से देरी बढ़ती जा रही है। कर्मचारी टेक्सटाइल मंत्रालय से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन मंत्री पीयूष गोयल के दौरे के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया।

सीसीआईई के प्रबंध निदेशक मनोज लाल ने कर्मचारियों के आरोपों का खंडन किया है, लेकिन विस्तृत जानकारी नहीं दी। कंपनी के पास 5,800 से अधिक कारीगर जुड़े हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इनमें से कई का भरण-पोषण एम्पोरियम पर निर्भर है। कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और टेक्सटाइल मंत्रालय को पत्र लिखा है, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। एक सोशल मीडिया पोस्ट में कर्मचारियों ने पीएम मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है, जहां उन्होंने 10 महीने के वेतन बकाए का जिक्र किया।

यह संकट न केवल कर्मचारियों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प उद्योग की छवि को भी धूमिल कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी सहायता और मार्केटिंग रणनीति में सुधार से स्थिति सुधर सकती है। फिलहाल, कर्मचारी धरना-प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं, ताकि उनका गुस्सा और तेज हो।

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