सेलिना और पीटर की 2011 में ऑस्ट्रिया में शादी हुई थी। उनके तीन बेटे हैं – जुड़वां विन्सटन और वीराज (2012) तथा जुड़वां शमशेर और आर्थर (2017), लेकिन शमशेर का जन्म के कुछ समय बाद निधन हो गया। याचिका में सेलिना ने आरोप लगाया कि शादी के बाद पीटर ने उन्हें काम करने से रोका, आर्थिक रूप से कमजोर बनाया और ‘नार्सिसिस्टिक’ व्यवहार किया। उन्होंने कहा, “पीटर ने मुझे नौकरानी कहा, चीजें फेंकीं, मारपीट की और धमकियां दीं।” सेलिना ने अक्टूबर 2025 में ऑस्ट्रिया से भागकर भारत लौटने का दावा किया है। पीटर ने अगस्त 2025 में ऑस्ट्रिया में तलाक की याचिका दायर की थी।
27 नवंबर को सेलिना ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “जीवन ने सब कुछ छीन लिया – माता-पिता, भाई, बच्चे और वो जो साथ निभाने का वादा कर चुका था। लेकिन तूफान ने मुझे डुबोया नहीं, बल्कि नई जिंदगी दी। सैनिक की बेटी होने के नाते, मैं हार नहीं मानूंगी।” उन्होंने अपनी कानूनी टीम करंजवाला एंड कंपनी का आभार जताया और कहा कि मामला अदालत में है, इसलिए कोई टिप्पणी नहीं करेंगी। सेलिना ने अपने भाई मेजर विक्रांत जेटली की यूएई में 14 महीनों से हिरासत का भी जिक्र किया, जिसके लिए उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
इस मामले के बीच, सेलिब्रिटी डिवोर्स वकील मृणालिनी देशमुख ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि सेलिब्रिटी के निजी मामलों को अत्यधिक संवेदनशीलता से संभालना चाहिए, ताकि सार्वजनिक तमाशा न बने। आमिर खान जैसे हाई-प्रोफाइल केस संभाल चुकीं देशमुख ने कहा, “मीडिया कवरेज सेलिब्रिटी स्टेटस की वजह से होती है, न कि मुद्दे की। यह परिवार कानून से जुड़े मामलों में अदालत को प्रभावित नहीं करता, लेकिन सामाजिक रूप से स्ट्रेस बढ़ाता है।” उन्होंने जोर दिया कि वकीलों को नैतिकता का पालन करना चाहिए – केस के बारे में ‘नो कमेंट्स’ कहें, खासकर जब मामला सब ज्यूडिस हो।
देशमुख ने कहा, “मैं कभी केस डिस्कस नहीं करती। अगर मीडिया पूछे, तो साफ मना कर दें।” उन्होंने मीडिया ट्रायल के प्रभाव पर चर्चा करते हुए बताया कि इससे पक्षकारों को गलत वजहों से सुर्खियां मिलती हैं, जो स्ट्रेस बढ़ाता है। “कई केस प्रभावित हुए हैं, लेकिन अदालतें संवेदनशील हैं। न्यूजपेपर रिपोर्ट का अदालत में कोई सबूत मूल्य नहीं, जब तक क्रॉस-एग्जामिनेशन न हो।”
गोपनीयता बनाए रखने पर उन्होंने कहा, “क्लाइंट-वकील संवाद विशेषाधिकार प्राप्त है। लेकिन अगर याचिका कोर्ट में फाइल हो जाती है, तो मीडिया को दस्तावेज मिल जाते हैं।” नेगोशिएशन पर मीडिया का असर न होने की बात कही, लेकिन सलाह दी कि क्लाइंट्स को मीडिया से कहें – ‘मैटर सब ज्यूडिस है’ या ‘थैंक यू फॉर आस्किंग’। डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के दायरे पर बोलीं, “यह व्यापक है, लेकिन अदालतें तय करेंगी कि आरोप सच्चे हैं या दबाव बनाने के लिए। अंतरराष्ट्रीय मामलों में भी सबूत पेश करना पड़ता है।”
देशमुख ने तलाक केस में सेटलमेंट को बेहतर विकल्प बताया, “लिटिगेशन आखिरी रास्ता है। पहले परिवार, दोस्तों या मीडिएटर्स से सुलझाएं।” क्लाइंट्स को सलाह: “मीडिया स्क्रूटिनी में कुछ न बोलें।”
सोशल मीडिया पर बहस: समर्थन और आलोचना
X (पूर्व ट्विटर) पर #CelinaJaitly, #DomesticViolence और #Divorce ट्रेंड कर रहे हैं। सेलिना के पोस्ट पर 2,500 से ज्यादा लाइक्स मिले, जहां यूजर्स ने उन्हें ‘हिम्मत’ की मिसाल बताया। लेकिन कुछ यूजर्स, जैसे @ShoneeKapoor ने इसे ‘पैटर्न’ कहा – “पति तलाक फाइल करता है, तो भारत में डीवी केस। पुरुषों का करियर, फाइनेंस बर्बाद हो जाता है।” एक यूजर ने लिखा, “यह कानून महिलाओं की रक्षा के लिए हैं, बदले की नहीं।” विपक्षी आवाजों में #MenToo और #FakeCases हैशटैग दिखे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट की प्रभावशीलता पर बहस छेड़ेगा, खासकर अंतरराष्ट्रीय मामलों में। पीटर की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है। सेलिना का केस न केवल कानूनी लड़ाई है, बल्कि सार्वजनिक नजरों में निजी पीड़ा का प्रतीक भी।

