meerut news चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को उक्त पद्धति में कचरे यानी वेस्ट मैटेरियल से ऊर्जा उत्पादन करने में बड़ी सफलता मिली है। भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा के लिए टूडी हाईब्रिड और बायोडिग्रेडेबल नैनोजनरेटर पाईजोइलेक्ट्रिक उपकरण तैयार कर लिया है। ऊर्जा संकट और पर्यावरएण प्रदूषण के बीच यह उपलब्धि एक नई उम्मीद जगा रही है।
आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने वाले शोधार्थी रवि कुमार ने सीसीएसयू के भौतिक विज्ञान विभाग में प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में विभाग की प्रयोगशाला में यह उपकरण तैयार कर लिया है, जो रोजमर्रा की हलचल और प्राकृतिक गतिविधियों से बिजली पैदा कर सकता है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इससे बने नैनोजेनेरेटर बेहद छोटे, हल्के और लचीले हो सकते हैं। इन्हें कपड़ों, घड़ियों, जूतों या यहां तक कि त्वचा पर चिपकाए जाने वाले सेंसरों में भी लगाया जा सकता है। जब इंसान चलता है, दौड़ता है या सांस लेता है, तो शरीर की इन हरकतों से उत्पन्न ऊर्जा को यह उपकरण बिजली में बदल सकता है। इसी बिजली से घड़ियां, फिटनेस ट्रैकर या स्वास्थ्य निगरानी उपकरण आसानी से चल सकते हैं। यही नहीं, भविष्य में सड़कों पर चलते वाहनों से निकलने वाली कंपन को भी ऐसे नैनोजेनेरेटर से बिजली में बदला जा सकता है। प्रयोगशाला में इस उपकरण से उंगलियों से सामान्य दबाव से ही 4.5 वोल्ट तक की बिजली उत्पन्न करने में सफलता मिल गई है। दबाव बढ़ाने पर यह 20 वोल्ट तक ऊर्जा उत्पन्न कर रही है।
शोधार्थी रवि कुमार की तकनीक पहले से मौजूद पाईजोइलेक्ट्रिक नैनोजनरेटर्स पर ही आधारित है, लेकिन इसका बायोडिग्रेडेबल रूप पहली बार सामने आया है। उन्होंने इसमें और सुधार करते हुए टूडी हाइब्रिड और बायोडिग्रेडेबल पदार्थों का उपयोग किया है। सीसीएसयू भौतिक विज्ञान विभाग के आचार्य प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा क्रांति का संकेत हैं। ये न केवल हमारी छोटी-छोटी बिजली की जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि पर्यावरण को भी बचाए रखेंगे।
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