पांच लाख से कम की ठगी के केस भी साइबर थाने में दर्ज हो सकेंगे

ghaziabad news  साइबर थाने में अब पांच लाख से कम की ठगी के मुकदमे भी दर्ज हो सकेंगे। साइबर अपराध पर प्रभारी कार्रवाई को लेकर प्रदेश में पहली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस ने बनाई है। इसके तहत साइबर अपराध के मामलों का पर्यवेक्षण करने के लिए तीनों जोन में एक-एक एसीपी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। पुलिस आयुक्त जे. रविंदर गौड ने बताया कि वर्तमान परिवेश में साइबर अपराध पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। वर्ष 2025 में जुलाई माह तक गाजियाबाद के थानों में साइबर ठगी के 566 केस दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा इस अवधि में लगभग 11 हजार शिकायतें एनसीआरपी पोर्टल पर प्राप्त हुई हैं। ऐसी परिस्थिति में साइबर अपराध की चुनौती का सामना करने के लिए कमिश्नरेट पुलिस ने एसओपी बनाई गई है। इसके तहत साइबर क्राइम थाने में पांच लाख रुपये से अधिक की ठगी के ही मुकदमे दर्ज करने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। पांच लाख से कम की साइबर ठगी के पीड़ित भी साइबर क्राइम थाने पर केस दर्ज करा सकेंगे। यह वह मामले होंगे, जिनमें कोई गिरोह चिन्हित होगा या जटिल मामले होंगे। पांच लाख से कम की साइबर ठगी के जटिल मामले थाना पुलिस भी साइबर क्राइम थाने तो ट्रांसफर कर सकेगी। तीनों जोन में नोडल अधिकारी बनाया पुलिस आयुक्त ने बतायचा कि साइबर क्राइम थाना व थानों की साइबर सेल में नियुक्त पुलिसकर्मियों के लिए साइट्रेन पर समयबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम नियत किया गया है। साइबर क्राइम थाने और साइबर सेल पर नियुक्त प्रत्येक पुलिसकर्मी के लिए का रेस्पोंडर टेक प्रशिक्षण पूरा कराया जा चुका है। यह प्रशिक्षण साइबर अपराध की रोकथाम तथा पीड़ितों को न्याय दिलाने में काम आ सकेगा। इसके अलावा साइबर अपराध के मामलों के पर्यवेक्षण के लिए सिटी जोन में एसीपी कोतवाली, ग्रामीण जोन में एसीपी मसूरी और ट्रांस हिंडन में एसीपी इंदिरापुरम को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

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